Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, July 13
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»उचित नहीं है बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर हाय-तौबा
    विशेष

    उचित नहीं है बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर हाय-तौबा

    shivam kumarBy shivam kumarJuly 10, 2025Updated:July 11, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    चुनाव आयोग की जिम्मेदारी को राजनीतिक मुद्दा बना रहा है महागठबंधन
    मामला सुप्रीम कोर्ट में है, तो फिर बंद जैसे कार्यक्रमों से बिगड़ रहा माहौल

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले का सियासी माहौल बेहद गरम है। इस गरम माहौल की आग में घी का काम कर दिया है चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान ने। वैसे तो हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण करना एक नियमित प्रशासनिक कवायद है, लेकिन इस कवायद पर हंगामा पहली बार देखने को मिल रहा है। बिहार की मतदाता सूची का अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था और उसके बाद अब हो रहा है। चुनाव आयोग ने इस बीच में नये मतदाताओं को जोड़ने और दिवंगत हो चुके मतदाताओं का नाम हटाने का काम नियमित रूप से जारी रखा था। इस बार चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने का फैसला किया, तो विपक्षी महागठबंधन ने हंगामा शुरू कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है और वहां सुनवाई भी शुरू हो गयी है। ऐसे में बिहार बंद जैसे आंदोलनात्मक कार्यक्रम कर विपक्षी पार्टियों ने पूरी व्यवस्था को बेपटरी कर दिया है। यहां सवाल यह है कि आखिर चुनाव आयोग को उसकी जिम्मेदारियों को पूरा करने से रोक कर विपक्षी पार्टियां क्या साबित करना चाहती हैं। मतदाता सूची तैयार करना चुनाव आयोग का काम है और इसमें अड़ंगा लगाना किसी भी दृष्टिकोण से बाधा उत्पन्न करना सही नहीं कहा जा सकता है। लोकतंत्र में चुनाव से बड़ा और पवित्र कोई दूसरा काम नहीं होता है, इसे सभी को समझना होगा। चुनाव का ही एक अहम हिस्सा मतदाता सूची तैयार करना भी है। यह भी समझना जरूरी है। क्या है बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण का मुद्दा और इसका क्या होगा असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण चल रहा है। यह काम इस महीने के अंत तक पूरा हो जायेगा, लेकिन विपक्षी पार्टियों ने इस काम का विरोध कर राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ एक तरफ तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है, तो दूसरी तरफ बंद जैसे आंदोलन भी शुरू किये गये हैं।

    चुनाव आयोग को संविधान से अधिकार मिला हुआ है कि वह समय-समय पर मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराये और देखा भी गया है कि जब भी चुनाव होते हैं, तो मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जाता है। संविधान से मिले अधिकार का ही प्रभाव है कि मतदाता पुनरीक्षण के समय इस कार्य में लगे हुए सभी अधिकारी और कर्मचारी चुनाव आयोग के अधीन हो जाते हैं और इनका तबादला भी कोई सरकार आयोग के अनुमति के बिना नहीं कर सकती है।

    मतदाता पुनरीक्षण वैसे तो कभी बड़े पैमाने पर होता है, कभी छोटे पैमाने पर, लेकिन इसका सघन पुनरीक्षण 2003 के बाद नहीं हो सका है। पूर्व में यह सघन पुनरीक्षण पांच या दस साल के अंतराल पर हो जाया करता था। अब ऐसा ही पुनरीक्षण पूरे देश में होना है, लेकिन अभी यह बिहार में चल रहा है और विपक्षी दल हाय-तौबा भी मचाये हुए हैं। उनका आरोप है कि सत्ता पक्ष के इशारे पर यह हो रहा है। यह जानते हुए भी कि चुनाव आयोग अपने अधिकार के अंतर्गत काम कर रहा है, विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है और वहां सुनवाई भी शुरू हो गयी है।

    क्यों हो रहा है आंदोलन
    विपक्षी दलों ने जैसे सीएए पर झूठा वितंडा खड़ा करके पूरे देश को आग में झोंकने की कोशिश की थी, वैसा ही माहौल इस बार भी बनाया जा रहा है। विपक्षी दल इस पुनरीक्षण के खिलाफ गुस्से में हैं और मोदी सरकार पर अनर्गल आरोप भी लगा रहे हैं। इन दलों ने बिहार बंद करा कर एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया है और जगह-जगह इसके खिलाफ भाषण दे रहे हैं। दरअसल विपक्षी दलों को चिंता इस बात की है कि यदि चुनाव आयोग का अभियान सफल रहा, तो अवैध ढंग से देश में घुस आये लोगों का नाम मतदाता सूची से कट जायेगा, जो उनके वोटर हैं।

    क्या है पुनरीक्षण की प्रक्रिया
    पुनरीक्षण के अंतर्गत चुनाव आयोग ने 2003 में मतदाता रहे लोगों को तो वैध मतदाता मान लिया है, लेकिन उसके बाद के मतदाताओं के लिए कुछ विकल्प दे रखा है कि उनका नाम फिर से तभी जुड़ेगा, जब वे कुछ दस्तावेज उपलब्ध करायेंगे। इनमें सबसे आसान विकल्प यह है कि जिसके पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में था, वह यदि वही प्रमाण दे दे, तो पात्र होने पर उसका नाम मतदाता सूची में जुड़ जायेगा और कोई समस्या नहीं आयेगी।

    किन लोगों को है समस्या
    इस पुनरीक्षण से समस्या मात्र उनको आयेगी, जो देश में अवैध तरीके से घुस आये हैं और चाहे पैसे देकर चाहे स्थानीय दलालों के माध्यम से मतदाता बन गये हैं। और जब ऐसा अभियान चुनाव आयोग चला रहा है, तो इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मतदाता बनने का अधिकार केवल वैध नागरिकों को होना चाहिए, न कि घुसपैठियों को। घुसपैठियों का स्थान देश में नहीं, बल्कि जेल में होना चाहिए। उनको सजा मिलनी चाहिए या एक विकल्प यह भी है कि वे जिस देश से आये हैं, वहां वापस चले जायें और वहां की सरकार उनको स्वीकार कर ले।

    गलत है इस मुद्दे पर राजनीति
    लोकतंत्र में राजनीति करने का अधिकार हर दल को है और करना भी चाहिए, लेकिन जो दल घुसपैठियों को संरक्षण दे, उसकी तो मान्यता ही समाप्त कर देनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस देश में ऐसा हो नहीं पा रहा है। भारतीय समाज देश के स्थान पर मानवता को महत्व देता है और रोहिग्याओं तक को हर सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश जारी होते रहते हैं। दयालुता तो होनी चाहिए, लेकिन यदि यह देश की कीमत पर हो, तब तो यह अपराध है। पूरा विश्व साक्षी है कि जिस फ्रांस और ब्रिटेन ने शरणार्थियों को हाथ फैला कर बुलाया, अपने देश में बसाया, अब वही शरणार्थी इन देशों में अराजकता और आगजनी के कारण बन रहे हैं और वहां आये दिन दंगे हो रहे हैं।
    भारत में भी पश्चिम बंगाल और बिहार इस बात के लिए बदनाम हैं कि यहां से विदेशी टूरिस्ट वीजा लेकर देश में घुसते हैं और उसके बाद पूरे देश में फैल जाते हैं। ऐसे लोगों का प्रवेश तो सीमा के अभिलेखों में अंकित होता है, लेकिन वापसी का कोई हिसाब-किताब नहीं होता। विपक्षी दलों की पूरी ताकत ही इन घुसपैठियों के संरक्षण में लग रही है।

    मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण पूरे देश में होना है और हर नागरिक का दायित्व है कि जो घुसपैठिये मतदाता बन गये हैं, उनकी पहचान कराने में सहयोग करें। लेकिन जो मतदाता नहीं बन पाये हैं, उनकी भी पहचान की जाये। यदि थोड़ा भी राष्ट्र भाव है, तो उसके लिए आगे आना होगा, क्योंकि देश बचा रहेगा, तो हम भी बचे रहेंगे, अन्यथा बांग्लादेश और अफगानिस्तान को तो हम देख ही रहे हैं कि वहां क्या हो रहा है। वोटों के सौदागर इन गद्दारों की ही भूमिका में हैं। यही कारण है कि म्यांमार से चलकर रोहिंग्या सटे हुए देश चीन में नहीं घुसते, बल्कि बंगाल सहित अन्य प्रदेशों के रास्ते पूरे देश में फैल गये हैं और देश की सुरक्षा के लिए संकट बने हुए हैं।

     

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleअमरनाथ यात्राः 7,307 तीर्थयात्रियों का एक और जत्था जम्मू से रवाना
    Next Article कांग्रेस विधायक सुब्बा रेड्डी के घर समेत बेंगलुरु में 5 जगहों पर इडी का छापा
    shivam kumar

      Related Posts

      झारखंड भाजपा को मिला अमित शाह का बूस्टर डोज

      July 12, 2025

      बिहार में महागठबंधन के भीतर ठीक नहीं है सब कुछ

      July 11, 2025

      चिराग पासवान की घोषणा ने बढ़ाया बिहार चुनाव का रोमांच

      July 8, 2025
      Add A Comment
      Leave A Reply Cancel Reply

      Recent Posts
      • झारखंड भाजपा को मिला अमित शाह का बूस्टर डोज
      • बिहार के मधुबनी में दो शराब तस्कर की मौत के बाद भीड़ ने पुलिस पर किया हमला
      • राजद ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन
      • वन भूमि की खरीद-बिक्री मामले में सीआईडी ने दो लोगों को किया गिरफ्तार
      • दक्षिण कोरिया ने ईस्ट एशियन कप में लगातार दूसरी जीत दर्ज की, हांगकांग को 2-0 से हराया
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version