दुनिया का हर चौथा व्यक्ति नास्तिक
नयी दिल्ली। विश्व जनसंख्या दिवस पर एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। दुनिया में हर मिनट 264 बच्चों का जन्म हो रहा है। इनमें सबसे अधिक जन्म मुस्लिम समुदाय में हो रहे हैं, जबकि हिंदू आबादी में हल्की गिरावट देखी गयी है।
भारत की प्रजनन दर घटी
रिपोर्ट के अनुसार साल 2025 तक भारत की अनुमानित आबादी 1.46 अरब होगी और यह सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा। हालांकि देश में कुल प्रजनन दर 2.1 से घट कर 1.9 तक पहुंच गयी है।भले ही बढ़ती हुई जनसंख्या की वजह से आर्थिक विकास और प्रगति के तमाम रास्ते खुलते हैं, लेकिन यह भी सच है कि इसकी वजह से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी बढ़ता जा रहा है।
मुसलमानों में प्रजनन दर 3.1
रिपोर्ट की मानें तो मुस्लिमों में प्रजनन दर 3.1 है, जो कि किसी भी धार्मिक समुदाय से ज्यादा है। दुनिया में औसतन मुस्लिम महिलाओं के तीन से ज्यादा बच्चे हैं। जैसे-जैसे ये बढ़ रहे हैं, वे अपने समुदाय में और ज्यादा जनसंख्या बढ़ाते जा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि मुस्लिमों की कुल आबादी में से 14 साल की उम्र के 33% लोग हैं। यह तबका अगले पांच से 10 साल में दुनिया में आर्थिक सहयोग करेगा और फिर शादी करके और ज्यादा आबादी बढ़ायेगा।
इसाई आबादी अब भी सबसे ज्यादा
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में इसाई समुदाय दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक जनसंख्या है, लेकिन 2010 से 2020 के बीच इनकी संख्या में गिरावट आयी है। खासतौर पर यूरोपीय देशों में इसाइयत से मोहभंग तेजी से बढ़ा है, जिसके चलते इस समुदाय की वैश्विक हिस्सेदारी कम हो रही है।
तेजी से बढ़ रही नास्तिक आबादी
सांख्यिकीय दृष्टि से देखा जाये, तो मुस्लिमों के बाद सबसे तेज बढ़ने वाला वर्ग नास्तिक है। 2020 में करीब 190 करोड़ लोग खुद को नास्तिक बता रहे हैं, जबकि 2010 में यह संख्या 160 करोड़ थी। सिर्फ 10 साल में 30 करोड़ लोगों ने धर्म से दूरी बना ली है।
इसलिए बढ़ रहे हैं नास्तिक
नास्तिकों की बढ़ती संख्या के पीछे प्रमुख कारण धार्मिक संस्थानों से विश्वास उठना और वैज्ञानिक सोच को माना जा रहा है। रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा लोग इसाई धर्म छोड़कर नास्तिक बन रहे हैं। कई लोग धार्मिक संस्थानों में हो रहे भ्रष्टाचार और पाखंड से निराश होकर धर्म से दूरी बना रहे हैं।
भारत में नास्तिकों की संख्या
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नास्तिकों की संख्या 2020 में करीब 50 हजार थी। हालांकि 2010 में यह आंकड़ा सिर्फ 30 हजार था, यानी 10 साल में 67% की वृद्धि हुई। यह संख्या कम लग सकती है, लेकिन बढ़ते ट्रेंड का संकेत देती है। सर्वे के मुताबिक 33% बौद्ध अनुयायियों ने कहा कि वे किसी भगवान में विश्वास नहीं करते।
धर्म और जनसंख्या का वैश्विक समीकरण
दुनिया में जब संघर्षों की जड़ में धर्म की भूमिका बढ़ती जा रही है, तब यह समझना जरूरी हो गया है कि धार्मिक आबादी का यह बदलाव सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेगा। मुस्लिमों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और नास्तिकता का उभरता चलन आने वाले दशकों में विश्व राजनीति, नीति निर्माण और सामाजिक ताने-बाने पर सीधा असर डाल सकता है।