वाशिंगटन। ट्रंप प्रशासन अब संयुक्त राज्य अमेरिका के शिक्षा विभाग में अपने हिसाब से छंटनी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में ट्रंप प्रशासन को शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर छंटनी की योजना को अनुमति प्रदान कर दी। इस योजना पर पहले एक संघीय न्यायाधीश ने रोक लगा दी थी। रूढ़िवादी बहुमत वाली शीर्ष अदालत ने बिना किसी स्पष्टीकरण के प्रशासन की आपातकालीन अर्जी को स्वीकार कर लिया।
एनबीसी न्यूज की खबर के अनुसार, शीर्ष अदालत के तीन उदारवादी सदस्यों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति सोनिया सोतोमयोर ने तो तीखी असहमति व्यक्त की। उन्होंने लिखा, ” कार्यपालिका ने सार्वजनिक रूप से कानून तोड़ने की अपनी मंशा की घोषणा की है। न्यायपालिका का कर्तव्य यह है कि उसे ऐसा करने से रोके ना कि मनमानी करने की छूट दे।” सोतोमयोर ने कहा, “न्यायालय का बहुमत या तो जानबूझकर अपने फैसले के निहितार्थों के प्रति अंधा है या फिर नासमझ है। यह फैसला संविधान के शक्तियों के पृथक्करण के लिए गंभीर खतरा है।” उन्होंने कहा कि यह फैसला संविधान की “स्पष्ट अवहेलना” करता है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शीर्ष अदालत के फैसले की सराहना की। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने यह घोषणा करके देश भर के अभिभावकों और छात्रों को एक बड़ी जीत दिलाई है। अब ट्रंप प्रशासन शिक्षा विभाग को राज्यों को सौंपने की दिशा में आगे बढ़ेगा। अब शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की शुरू कर सकती हैं।”
सनद रहे, इस साल की शुरुआत में पदभार ग्रहण करने के बाद ट्रंप ने इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि प्रशासन शिक्षा विभाग को बंद करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। इसके बाद लिंडा मैकमोहन ने बड़े पैमाने पर छंटनी का आदेश दिया था।
इसके बाद डेमोक्रेसी फॉरवर्ड की मुख्य कार्यकारी स्काई पेरीमैन के नेतृत्व में समूहों ने कानून की चौखट पर दस्तक दी। पैरीमैन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सार्वजनिक शिक्षा के लिए विनाशकारी बताया है। पेरीमैन ने कहा कि शीर्ष अदालत ने एक बार फिर बिना किसी तर्क के दो निचली अदालतों के फैसले को पलटा है। यह निराशाजनक है। कांग्रेस स्थापित शिक्षा विभाग को खत्म करने की ट्रंप-वेंस प्रशासन की कार्रवाई असंवैधानिक है।
शिक्षा विभाग के इस मामले में मैसाचुसेट्स स्थित अमेरिकी जिला न्यायाधीश म्योंग जॉन ने 22 मई के अपने फैसले में लिखा था कि सबूत यह दर्शाते हैं कि प्रतिवादियों का असली इरादा बिना किसी अधिकृत कानून के विभाग को प्रभावी ढंग से खत्म करना है। सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने इस पर कहा था कि जॉन की टिप्पणी राष्ट्रपति के अधिकारों पर अतिक्रमण करती है। न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने कहा कि चुनौती देने वालों ने दिखाया है कि ट्रंप का कदम मनमाना और असंवैधानिक था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से इतना तो तय है कि शिक्षा विभाग के 1,400 कर्मचारियों को फिर से काम पर रखने का निचली अदालत का आदेश रद्दी हो चुका है। इस फैसले ने ट्रंप को शिक्षा विभाग को खत्म करने की खुली छूट दे दी है। उदारवादी जस्टिस सोनिया के साथ जस्टिस एलेना कागन और केतांजी ब्राउन जैक्सन ने भी इस फैसले को संविधान की शक्तियों के बंटवारे के लिए खतरा बताया है।