वाशिंगटन। संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने दुनिया के प्रमुख मीडिया दिग्गज रूपर्ट मर्डोक के अखबार द वाल स्ट्रीट जर्नल पर छपी एक खबर पर मोटा हर्जाना मांगा है। उन्होंने रूपर्ट मर्डोक, द वाल स्ट्रीट जर्नल, न्यूजकॉर्प के खिलाफ मुकदमा दायर कर हर्जाना के रूप में 10 अरब डॉलर दिलाने की मांग की है। वह द वाल स्ट्रीट जनरल में जेफरी एपस्टीन को ‘कभी लिखे गए उनके कथित अश्लील पत्र’ के छापने से आगबबूला हैं।
सीएनबीसी की खबर के अनुसार, द वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी विशेष खबर में दावा किया गया है कि ट्रंप ने अपने तत्कालीन मित्र जेफरी एपस्टीन को उनके 50वें जन्मदिन पर एक नग्न महिला के चित्र के साथ अश्लील पत्र भेजा था। राष्ट्रपति ट्रंप ने फ्लोरिडा के दक्षिणी जिले की संघीय अदालत में दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मुकदमे में प्रतिवादी के रूप में मर्डोक, उनकी कंपनी न्यूजकॉर्प, न्यूजकॉर्प के सीईओ रॉबर्ट थॉमसन, द वाल स्ट्रीट जर्नल की प्रकाशक कंपनी डॉव जोन्स एंड कंपनी और इस खबर को ब्रेक करने वाले दो पत्रकारों को नामित किया है।
डॉव जोन्स के एक प्रवक्ता ने बयान में कहा है, “हमें अपनी खबर की सत्यता और सटीकता पर पूरा भरोसा है। हम किसी भी मुकदमे का पूरी ताकत से बचाव करेंगे।” यह मुकदमा ऐसे समय में दायर हुआ है जब न्याय विभाग पर एपस्टीन के बारे में की जांच को सार्वजनिक करने का दबाव है। द वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, 2003 में ट्रंप का एपस्टीन को कथित तौर पर लिखा गया पत्र उन दस्तावेजों में शामिल रहा जिनकी आपराधिक जांचकर्ताओं ने समीक्षा की। ट्रंप ने शुक्रवार को ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा कि मैंने द वाल स्ट्रीट जर्नल में झूठे, दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक और झूठा समाचार प्रकाशित करने पर इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
सीएनएन चैनल की खबर के अनुसार, ट्रंप ने कहा कि उन्हें मुकदमे में गवाही देने का इंतजार है। इस बीच फाउंडेशन फॉर इंडिविजुअल राइट्स एंड एक्सप्रेशन के मुख्य वकील बॉब कॉर्न-रेवेरे ने कहा, “ट्रंप के अन्य समाचार संगठनों के साथ पिछले विवादों में किसी भी अदालत से कोई फैसला नहीं मिला है। यह जरूर है कि यह मीडिया कंपनियों से समझौता करवाने में अपने सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने में कामयाब रहे। याद रखना चाहिए सत्ता का बेजा इस्तेमाल तुच्छ दावों को वैध कार्रवाई में नहीं बदल देता।”
दरअसल इस विवाद की जड़ में एपस्टीन को भेजा गया उनका कथित पत्र है। इस पत्र की भाषा अश्लील थी। द वाल स्ट्रीट जर्नल और रूपर्ट मर्डोक को राष्ट्रपति ट्रंप ने सीधे चेतावनी दी थी कि अगर एपस्टीन को लिखा गया उनका कथित फर्जी पत्र छापा जाता है तो वह मुकदमा दायर करेंगे।
अमेरिकी मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि मर्डोक ने ट्रंप को आश्वासन दिया था कि वह इसका ध्यान रखेंगे, लेकिन उनके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा ट्रंप की तरफ से व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने द वाल स्ट्रीट जर्नल की संपादक एम्मा टकर को बताया था कि पत्र फर्जी है। लेविट ने कहा था कि एम्मा टकर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थीं। वह सिर्फ झूठी, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक कहानी पर अडिग थीं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप पत्रकार जॉर्ज स्टेफानोपोलोस, एबीसी, 60 मिनट्स, सीबीएस और अन्य मीडिया घरानों से टकरा कर उनकी बोलती बंद करा चुके हैं। अब उन्होंने निष्पक्षता की दुहाई देने वाले द वाल स्ट्रीट जर्नल को अदालत की चौखट पर ले गए हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर ‘कथित पत्र’ में रत्ती भर सच्चाई होती तो हिलेरी और अन्य कट्टरपंथी वामपंथी राष्ट्रपति चुनाव में जरूर मुद्दा बनाते।
सीएनएन न्यूज चैनल के अनुसार, गुरुवार (स्थानीय समय) को प्रकाशित द वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, जेफरी एपस्टीन को 2003 में उनके 50वें जन्मदिन पर भेजे गए बधाई संदेश के पत्रों के संग्रह में डोनाल्ड ट्रंप का नाम और एक नग्न महिला की रूपरेखा वाला एक नोट शामिल था। हालांकि ट्रंप ने मंगलवार को द वाल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए साक्षात्कार में इस बात से इनकार किया कि उन्होंने एपस्टीन को पत्र लिखा या चित्र बनाया था। उन्होंने कहा था, “मैंने अपने जीवन में कभी कोई शब्द चित्र नहीं लिखा। मैं महिलाओं के चित्र नहीं बनाता। यह मेरी भाषा नहीं है। यह मेरे शब्द नहीं हैं।”
उल्लेखनीय है कि एपस्टीन अमेरिका के बड़े फाइनेंसर रहे हैं। उनके देश के कई राजनेताओं और प्रभावशाली हस्तियों के गहरे संबंध किसी से छुपे नहीं हैं। उन पर साल 2019 में फ्लोरिडा और न्यूयॉर्क में नाबालिगों की यौन तस्करी का आरोप लगा था। इस खुलासे के बाद उनकी गिरफ्तारी भी हुई। बाद में वह अपनी जेल की कोठरी में मृत पाए गए। सीएनएन के अनुसार, मेडिकल जांच में कहा गया कि उन्होंने आत्महत्या की। बाद में परिस्थितियों ने कई नए रहस्य खोले और उनकी मौत पर ‘षड्यंत्र के सिद्धांत’ गढ़े गए।