डेटा सुरक्षा को लेकर चिंताओं के बीच सरकार ने मोबाइल बनाने वाली कंपनियों से पूछा है कि वे उपयोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा व गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए क्या प्रक्रिया अपना रही हैं। इन कंपनियों से संबंधित प्रक्रिया व प्रणाली का ब्यौरा देने को कहा गया है और इनमें से ज्यादातर चीन की स्मार्टफोन कंपनियां हैं।

यह निर्देश ऐसे समय आया है जबकि भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर विवाद गहरा रहा है। इसके अलावा चीन से आईटी और दूरसंचार उत्पादों के आयात को लेकर चिंता भी इसके पीछे एक प्रमुख वजह है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि मंत्रालय ने सभी कंपनियों को अपना जवाब देने के लिए 28 अगस्त तक का समय दिया है।

अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय और रेलू स्तर पर मोबाइल फोन से डेटा लीक होने का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले चरण में उपकरण और पहले से लोड सॉफ्टवेयर और एप जांच के दायरे में रहेंगे। कंपनियों से मिले जवाब के आधार पर मंत्रालय उपकरणों का सत्यापन और ऑडिट करेगा।

मंत्रालय ने चेताया है कि यदि उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ होगा, तो आईटी कानून की धारा 43 (ए) के तहत जुर्माना लगाया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया के पीछे मकसद यह सुनिश्चित करना है कि मोबाइल फोन में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के संदर्भ में जरूरी डेटा सुरक्षा उपाय किए जाएं। अधिकारी ने बताया कि आईटी मंत्रालय ने कुल मिलाकर 21 स्मार्टफोन कंपनियों को इस बारे में पत्र लिखा है। इनमें से ज्यादातर चीन की कंपनियां हैं।

उन्होंने कहा कि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने स्थिति की समीक्षा के लिए 14 अगस्त को दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तथा सीईआरटी-इन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। देश में ई कामर्स लेनदेन व डिजिटल भुगतान में उछाल को देखते हुए यह मुद्दा काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

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