रांची: केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्र ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एनएचएम कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए पूछा कि झारखंड में मलेरिया कब समाप्त होगा और राज्य पदाधिकारियों के जेइ इम्युनाइजेशन का प्रतिशत क्या है? उन्होंने राज्य में चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सुधार के लिए कई सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि एनआरएचएम में फंक्शनल यूनिट बढ़े पर वहां डॉक्टरों की कमी है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के संबंध में उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में राज्यभर के 34 निजी चिकित्सक इनरॉल हुए हैं, पर इनमें से सिर्फ दो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह चिंतनीय है।
निजी क्षेत्रों में भी टीबी का डॉट प्रोवाइड करें : टीबी कार्यक्रम के संबंध में उन्होंने कहा कि टीबी के 60 प्रतिशत पॉजिटिव केस वाले मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जा रहे हैं। इन्हें स्टेट नोटिफाइ नहीं कर पा रहा है। आज देश में टीबी गंभीर समस्या है। उन्होंने सलाह दी कि टीबी की समस्या के समाधान के लिए निजी क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं से बात करें, ताकि उनके द्वारा भी डॉट प्रोवाइड किया जा सके।
उन्होंने मेटरनल डेथ रिपोर्टिंग/रिव्यू और चाइल्ड डेथ रिपोर्टिंग/रिव्यू को कम करने की सलाह दी और कहा कि सभी लेबर रूम स्तरीय बनाये जायें। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर निर्देश दिया कि राज्य की जरूरत के हिसाब से पीआइपी बनायें और बैकलॉग कम करें।
फील्ड में जायें पदाधिकारी
केंद्रीय स्वस्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य कार्यक्रम में खर्च को बढ़ाने का भी निर्देश दिया। पदाधिकारियों को फील्ड में जाने को कहा, ताकि कार्यक्रमों की जमीनी हकीकत समझ सकें। उन्होंने कहा कि एचएमआइएस के अंतर्गत ही कार्यक्रमों की समीक्षा हो। इससे पहले अभियान निदेशक कृपानंद झा ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से झारखंड में चल रहे कार्यक्रम की जानकारी दी। बैठक में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य सुधीर त्रिपाठी, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ सुमंत मिश्र, संयुक्त सचिव स्वसस्थ्य सुधीर रंजन, निदेशक वित नरसिंह खलखो, स्वास्थ्य बीमा योजना के प्रबंध निदेशक दिव्यांशु झा उपस्थित थे।
, रिम्स के प्रतिनिधि, सभी निदेशक, उपनिदेशक चिकित्सक और अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।