पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान से मचे घमासान के बीच बुद्धिजीवियों ने कहा है कि देश में न तो कोई बेचैन है और न ही असुरक्षित है और सबकुछ सामान्य है और उन्हें ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए था.

इस बीच प्रदेश भाजपा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. बुद्धिजीवियों ने यह भी कहा है कि अंसारी ‘संवैधानिक पद’ पर बैठकर सत्ता का आनंद लेते रहे और कार्यकाल समाप्त होने पर वह कह रहे हैं कि देश में मुसलमान असुरक्षित और असहज महसूस कर रहे हैं. इससे उनकी मानसिकता झलकती है.

डीएवी कालेज के हिंदी विभाग के पूर्व प्राध्यापक एवं वरिष्ठ कवि मोहन सपरा ने कहा, ‘अंसारी उपराष्ट्रपति के तौर पर संवैधानिक पद पर आसीन थे और उन्हें इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना बयान देने से बचना चाहिए था.’

इस बारे में वरिष्ठ लेखक तरसेम गुजराल ने कहा, ‘दस साल तक जब वह उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे थे तब उन्हें ऐसा नहीं लगा था कि देश में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है और अब पद से हटने के दौरान अचानक उन्हें यह ज्ञान हुआ है.’ सपरा और गुजराल ने कहा, ‘संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए क्योंकि सबको इस बात का पता है कि देश में न तो कोई बेचैन है, न ही असहज और न असुरक्षित है.’

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रजत कुमार मोहिंद्रू ने कहा है, ‘अंसारी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और राजनीति से प्रेरित है. उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों पर बैठने वाले लोगों से ऐसे बयानों की अपेक्षा नहीं की जाती है.’

रजत ने कहा, यह अंसारी को भी पता है कि न केवल मुस्लिम बल्कि समाज का हर समुदाय देश में सुरक्षित है. केंद्र सरकार ‘सबका साथ और सबका विकास’ के नारे पर विश्वास करती है और इसी दिशा में कामकाज हो रहा है.

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