रांची: विधानसभा में शुक्रवार को दोबारा मेडिकल प्रोटेक्शन बिल को लाया गया। बिल पर लगभग एक घंटे तक चर्चा हुई। पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने बिल की खामियों पर सदन का ध्यान आकृष्ट कराया। अंत मे स्पीकर डॉ दिनेश उरांव ने इस बिल को प्रवर समिति में चर्चा के लिए भेजने का नियमन दिया। साथ ही कहा कि 30 दिनों के भीतर प्रवर समिति रिपोर्ट देगी ।
भोजनावकाश के बाद सदन में चार विधेयकों को लाया गया। इसमें झारखंड लिफ्ट एंड एक्सेलेटर विधेयक-2017, झारखंड आधार (लक्षित वित्तीय एवं अन्य सहायिकी लाभ और सेवा प्रदाय) विधेयक- 2017 और कारखाना ( झारखंड संसोधन) विधेयक-2017 पारित हुआ। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने झारखंड चिकित्सा सेवा से संबद्ध व्यक्तियों, चिकित्सा सेवा संस्थान (हिंसा एवं संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक 2017 को सदन में रखा। इस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, झामुमो विधायक रवींद्रनाथ महतो और मासस विधायक अरूप चटर्जी ने कई संशोधन के साथ प्रवर समिति में भेजने की मांग की। सत्ता पक्ष के राधाकृष्ण किशोर, अशोक कुमार, निर्भय शाहाबादी, रामकुमार पाहन, शिवशंकर उरांव, ढुल्लू महतो, हरेकृष्ण सिंह, मनीष जयसवाल ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की वकालत की। कहा कि उल्लंघन पर तीन वर्ष की सजा और 50 हजार जुर्माना की बात कही गयी है, यह उचित नहीं है। अस्पताल में तोड़-फोड़ में शामिल सभी पर कानूनी कार्रवाई होगी, यह भी उचित नहीं है।
सरकार की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने पक्ष रखा। कहा कि भारत के 18 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू है। इसके लागू होने के बाद उन राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं मे वृद्धि हुई है।
2014 में भी सदन में आया था बिल : सरयू
संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि वर्ष 2014 में भी सदन में यह बिल आया था। सदस्यों की मांग पर प्रवर समिति में भेजा गया था। प्रवर समिति की रिपोर्ट भी आयी थी, लेकिन विधानसभा के चुनाव हो जाने के बाद फिर सदन में नहीं आया। उन्होंने कहा कि पूर्व की प्रवर समिति की रिपोर्ट को जोड़ कर नये सिरे से विधेयक को लाया गया है। विधेयक में इस बात का भी प्रावधान है कि मरीजों को पूरी सूचना अस्पताल में दी जायेगी। बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करना इस विधेयक का उद्देश्य है।