चाइबासा: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि गुलाम भारत के बाद से ही भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का षडयंत्र हो रहा है। राष्ट्र विरोधी शक्तियां लगातार इसे नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं। यह अब अशिक्षा की वजह से हो रहा है। ऐसी शक्ति सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय है। सीएम ने कहा कि संविधान को चुनौती देनेवालों के लिए कोई जगह नहीं। लोकतांत्रिक देश में यह स्वीकार्य नहीं होगा। लालच देकर दलित, शोषित और गरीब की संस्कृति से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा। राज्य सरकार ने धर्मांतरण बिल संविधान में प्रदत्त प्रावधान के तहत लाया है। सरकार ने संविधान के निर्देश का पालन किया है। देश में जो भी रहते हैं उन्हें भारतीय संविधान सम्मत ही कार्य करना होगा। मुख्यमंत्री बुधवार को चाइबासा में पदमावती जैन सरस्वती शिशु विद्यामंदिर के माधव सभागार में विद्या भारती विद्यालय द्वारा प्रांतीय प्रधानाचार्य की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्या भारती जैसी संस्था ऐसे अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा का संचार करे। राज्य सरकार हर संभव सहायता करेगी। ऐसे क्षेत्र में जनजाति समाज को जगाने की जरूरत है।
भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा प्रदान करें : सीएम ने कहा कि ज्ञान आधारित युग में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता एवं चुनौती होनी चाहिए। हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। सिर्फ सरकार के भरोसे यह कार्य संभव नहीं है। गुरुजनों से भी इस कार्य में योगदान अपेक्षित है। आप ऐसी शिक्षा दें, जिसमें चरित्र और संस्कार हो। ज्ञान, भावना और क्रिया में समायोजन कर शिक्षा रूपी संजीवनी का संचार आप बच्चों में करें।
आधुनिक शिक्षा समय की मांग : मुख्यमंत्री ने कहा कि समय बदल रहा है और बदलते समय के साथ आधुनिक शिक्षा समय की मांग है। शिक्षा में बहुत ताकत निहित है। राज्य गठन के बाद शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। सरकार गठन के बाद राज्य में मौजूद शिक्षा व्यवस्था का गहन निरीक्षण किया। शिक्षकों की कमी और विद्यालयों में आधारभूत संसाधनों का अभाव नजर आया। इसके बाद एक हजार दिनों के कार्यकाल में 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गयी। 18 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में है। शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना है।