नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के सदस्यों के लिए ‘एक राज्य एक वोट’ नीति पर दिए अपने पूर्व के आदेश में संशोधन किया। शीर्ष अदालत ने मुंबई, सौराष्ट्र, वडोदरा और विदर्भ के क्रिकेट संघों को बोर्ड की पूर्ण (स्थायी) सदस्यता देने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया। इस आदेश के बाद देश में अब जितने स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन हैं, उन्हें बीसीसीआइ में मतदान का अधिकार होगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कुछ संशोधनो के साथ बीसीसीआइ के मसौदा संविधान (ड्राफ्ट कंस्टीट्यूशन) को भी मंजूरी दे दी। कोर्ट ने रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटीज की भी स्थायी सदस्यता बहाल कर दी। साथ ही बीसीसीआइ के अनुमोदित संविधान को चार हफ्ते में रिकॉर्ड में लाने का आदेश दिया। बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ भी शामिल थे।
पहले आदेश था- एक राज्य से एक वोट होगा
जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशों में था कि एक राज्य में सिर्फ एक क्रिकेट संघ होगा। उसके पास पूर्ण (स्थायी) सदस्यता और बीसीसीआइ में मतदान का अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में दिए फैसले में इसे मंजूरी दी थी। इस कारण मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए), क्रिकेट क्लब आॅफ इंडिया (सीसीआइ), विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन, बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन और सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन जैसे क्रिकेट संघों ने स्थायी सदस्यता और मतदान के अधिकार गंवा दिए थे। ये सभी अपने-अपने राज्यों से अलग बीसीसीआइ के स्थायी सदस्य हैं। इसके अलावा रेलवे, सर्विसेज और यूनिवर्सिटीज की भी स्थायी सदस्यता चली गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद इन क्रिकेट संघों के मतदान के अधिकार बहाल हो गये हैं। हालांकि इस फैसले का पूर्वोत्तर के राज्य क्रिकेट एसोसिएशन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि अब बीसीसीआइ के चुनाव में खड़ा होने वाला कोई प्रत्याशी इन राज्यों के 7 वोट की भरपाइ उपरोक्त क्रिकेट संघों से कर सकता है।
आदेश नहीं माना, तो होगी कार्रवाई
पीठ ने देशभर के राज्य क्रिकेट संघों को 30 दिन में बीसीसीआइ के संविधान को स्वीकार करने का निर्देश दिया। साथ ही चेतावनी दी कि आदेश का पालन नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के पदाधिकारियों के कूलिंग-आॅफ पीरियड पर भी राहत दी है। अब हर कार्यकाल के बाद 3 साल के कूलिंग-आॅफ पीरियड को लगातार 2 कार्यकाल के बाद अनिवार्य किया गया है। यानी अब लगातार दो कार्यकाल पर रहने वाला पदाधिकारी अगले छह साल तक क्रिकेट संघ में कोई पद नहीं ले सकेगा। लोढ़ा समिति ने सिफारिश की थी कि 3 साल के कार्यकाल के बाद सदस्यों के लिए कूलिंग-आॅफ पीरियड होना चाहिये। 70 साल उम्र की अधिकतम सीमा, सरकारी अधिकारी और मंत्री वाली अयोग्यता बनी रहेगी। शीर्ष अदालत ने 5 जुलाई की सुनवाई के दौरान कहा था कि जब तक बीसीसीआइ के मसौदा संविधान पर आखिरी फैसला नहीं सुनाया जाता तब तक सभी राज्यों के क्रिकेट संघ चुनाव नहीं करा सकते।