जमशेदपुर. जमशेदपुर में हुए डस्टबिन खरीदी घोटाले की जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन ने झारखंड के लोकायुक्त को सौंप दी। इसके मुताबिक डस्टबिन जिस दाम पर खरीदे, उसमें फिटिंग-फिक्सिंग चार्ज भी शामिल हैं। भास्कर ने जब पड़ताल की तो पता चला जो डस्टबिन 8230 रु. में खरीदा है, उसकी बाजार कीमत 1900 रु. है। यानी एक डस्टबिन फिट या फिक्स करने में 6330 रु. खर्च हुआ। रिपोर्ट के बाद लोकायुक्त जांच कर रहा है। 23 जुलाई को सौंपी जांच रिपोर्ट में अफसरों और आपूर्तिकर्ता को बचाने की कोशिश की गई है।
रिपोर्ट में बताया है कि डस्टबिन की कीमत के साथ फिटिंग और फिक्सिंग को भी शामिल किया है। एसीई इंटरप्राइजेज नामक कंपनी ने जेनेक्स कंपनी की सिंगल और डबल डस्टबिन की आपूर्ति की। इसके लिए 2.82 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। भास्कर ने जब जेनेक्स कंपनी के डीलर से बात की तो उन्होंने 200 लीटर की सिंगल डस्टबिन का दाम 1900 रु., डबल का 5000 रु. बताया (भास्कर के पास सबूत है)।
सबसे ज्यादा जेनेक्स कंपनी से डस्टबिन खरीदे, पूरे शहर में 3000 डस्टबिन पर 3.21 करोड़ रु. खर्च
जेएनएसी ने 1900 रु. की डस्टबिन के 8230 रु., 5000 रु. की डबल डस्टबिन का 13300 रु. का भुगतान किया। जांच रिपोर्ट पर अगर भरोसा कर भी लिया जाए तो यह किसी को हजम नहीं हो रहा है कि सिंगल डस्टबिन को फिट करने में 6330 और डबल डस्टबिन को फिक्स करने में 8300 रुपए का खर्च हुआ। अगर ऐसा है तो यह डस्टबिन खरीदी नहीं डस्टबिन फिक्सिंग घोटाला कहलाएगा। हर डस्टबिन की फिटिंग पर ही उसकी कीमत से दो से तीन गुना ज्यादा खर्च हो गया। इसी तरह 100 लीटर के नीलकमल कंपनी के ट्विन डस्टबिन को तिरुपति सेल्स ने आपूर्ति किया था। इसका भुगतान अक्षेस ने 8500 रुपए किया जबकि दैनिक भास्कर ने अपनी पड़ताल में पाया कि इसकी बाजार में कीमत 4500 रुपए है। यानी फिटिंग पर 4 हजार रु. खर्च किया गया।

परचेज कमेटी में ये अफसर थे शामिल : पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त, जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी, जिला लेखा पदाधिकारी, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक, पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, आदित्यपुर के कार्यपालक अभियंता, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंत, जिला ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के निदेशक शामिल थे।

जेएनएसी ने कहा… पूर्व में जो सूचना दी थी वह गलत : रिपोर्ट में 150 लीटर क्षमता के डस्टबिन की आपूर्ति होने से ही इंकार किया गया। इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत 350 डस्टबिन की खरीदी पर 32.38 लाख रु. खर्चे की जानकारी दी थी। एक की खरीदी पर 9250 रु. खर्च किए थे। रिपोर्ट में जेएनएसी ने बताया, उनके ऑफिस से गलती से यह सूचना दे दी थी। 150 लीटर की डस्टबिन की खरीदी की ही नहीं। इसकी आपूर्ति तिरुपति सेल्स नामक कंपनी ने किया था। रिपोर्ट के मुताबिक 150 लीटर डस्टबिन की आपूर्ति का आदेश जारी किया था। पर आपूर्ति नहीं की। रिपोर्ट में इसकी जानकारी नहीं दी।

अब अफसरों के गोलमोल जवाब : पूर्वी सिंहभूम के एडीसी जांच अधिकारी सौरभ कुमार सिन्हा ने बताया कि जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी गई थी। उपायुक्त के मार्फत लोकायुक्त को भेजी गई थी। जांच रिपोर्ट में क्या है या फिर इसमें क्या जानकारी मिली इसके बारे में मुझे ज्यादा कुछ याद नहीं है। देखने के बाद ही बता पाएंगे। जेएनएसी एसओ संजय कुमार ने बताया कि 150 लीटर की डस्टबिन की खरीदी की जानकारी सूचना अधिकार में दी गई थी। कार्यादेश के आधार पर जानकारी दी थी। खरीदी नहीं थी, गलत जानकारी दी थी। बाद में इसमें सुधार किया था। जिसकी जानकारी डीसी को दी गई थी।

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