रांची। झारखंड में गैर आदिवासी द्वारा आदिवासी महिला से शादी कर एसटी जमीन खरीदने का गोरखधंधा बंद होगा। सरकार इस पर रोक लगाने के लिए ओड़िशा की तर्ज पर शिड्यूल एरिया ट्रांसफर इमूवेबल प्रॉपर्टी बाइ शेड्यूल ट्राइब्स रेगुलेशन लागू कर सकती है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई टीएसी की बैठक में यह तय हुआ। सहमति बनी कि आदिवासी महिला से शादी रचाकर गैर आदिवासियों द्वारा आदिवासी जमीन खरीदने के गोरखधंधे को बंद करने के लिए ओडिशा की तरह झारखंड में भी कानून बनाया जाये। उक्त जानकारी टीएसी के सदस्य जेबी तुबिद ने दी। कहा कि बहुत जल्द इसके स्वरूप को अंतिम रूप दिया जायेगा। इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय और देश के अन्य न्यायालयों की टिप्पणी पर समीक्षा की जायेगी और महाधिवक्ता से राय लेकर निर्णय लिया जायेगा। इसके प्रभावी होने के बाद गैर आदिवासियों द्वारा एसटी महिलाओं से शादी करने के बाद यदि जमीन खरीदी जाती है, तो संबंधित महिलाओं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं मानते हुए भूमि वापसी की कार्रवाई की जा सकेगी।
विवाहित महिलाओं को जाति प्रमाण पत्र में दर्ज कराना होगा पति का नाम : इसी तरह विवाहित महिलाओं के नाम से निर्गत होने वाले जाति प्रमाणपत्र में उनके पिता के साथ-साथ पति का नाम दर्ज करना भी अनिवार्य होगा। ऐसा होने के बाद गैर आदिवासियों से शादी कर अपने आदिवासी पिता का नाम भंजाकर वह आदिवासी जमीन नहीं खरीद सकेगी। बैठक में संबंधित प्रस्ताव समेत कुल 10 एजेंडों पर आम सहमति बनी। धर्मांतरित लोगों को एसटी का लाभ नहीं मिले : शिवशंकर : भाजपा विधायक शिवशंकर उरांव ने बताया कि टीएसी की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि धर्मांतरित आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाये। उन्होंने कहा कि जो आदिवासी अपनी रीति-रिवाज, परंपरा को छोड़ दूसरे धर्म को अपना लिये हैं, उन्हें जनजाति समुदाय को मिलनेवाले लाभ से वंचित किया जाया। कहा कि मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है और बहुत जल्द इस पर निर्णय लेगी। साथ ही यह भी तय हुआ कि झारखंड में नियुक्ति, प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर मुकदमे होते रहते हैं। इसके निपटारे के लिए आरक्षण पर समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया जाये।
एसटी जमीन की खरीद-बिक्री में खत्म होगी थाना क्षेत्र की बाध्यता!
एक ही थाना क्षेत्र में आदिवासियों के बीच आपस में जमीन की खरीद-बिक्री की बाध्यता खत्म करने पर भी इस बैठक में चर्चा हुई। इस पर बैठक में सभी सदस्यों से विचार लिया गया। सभी ने थाना की बाध्यता को समाप्त करने पर सहमति जतायी। इस मामले को लेकर पूर्व में मंत्री लुइस मरांडी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट समिति के समक्ष रखी। इसमें कहा गया है कि रांची नगर निगम क्षेत्र में पहले थाना की बाध्यता को समाप्त किया जाये। तय हुआ कि सीएनटी एक्ट के अंतर्गत आनेवाले सभी जिलों में इसके समन्वय के लिए विचार हो। बैठक में यह निर्णय हुआ कि जल्द इस मामले पर सर्वदलीय बैठक बुलायी जायेगी। साथ ही ग्राम प्रधानों के साथ भी बैठक कर निर्णय लिया जायेगा। तीन महीने के अंदर इस पर विचार प्राप्त कर टीएसी के समक्ष रखा जायेगा। दशकों से प्रभावी इस कानून की प्रासंगिकता के अध्ययन के लिए गठित उप समिति का मानना है कि पूर्व में एक ही थाना क्षेत्र में आज के कई जिले समाहित थे। आज एक जिले में दर्जनों थाने खुल आये हैं। ऐसे में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करना वर्तमान की मांग है।