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    Home»Top Story»फिर गरमाया कुड़ुख ग्रंथ में आपत्तिजनक तथ्यों का मुद्दा
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    फिर गरमाया कुड़ुख ग्रंथ में आपत्तिजनक तथ्यों का मुद्दा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 30, 2019No Comments2 Mins Read
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    अजय शर्मा
    रांची। कुड़ुख ग्रंथ में कुछ आपत्तिजनक तथ्यों के समावेश के बाद उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठने लगी है। क्षेत्रीय एवं जनजाति भाषा विभाग के पाठ्यक्रम की पुस्तक की जांच की मांग की गयी है। कुड़ुख ग्रंथ नामक पुस्तक (संस्करण 2011 और 2015) का मुद्रक कैथोलिक प्रेस है। उसने ही इसे प्रकाशित भी किया है। इसके लेखक अधिवक्ता एके मिंज, प्रो प्रवीण उरांव, बंधन तिग्गा और फादर अगुस्टिन केरकेट्टा हैं। इस पुस्तक में उरांव समुदाय के मौलिक एवं धार्मिक मूल तथ्यों को दरकिनार कर बाइबल की बातों को शामिल कर दिया गया है, जिसमें उरांव रीति-रिवाज, परंपरा, धार्मिक विश्वास एवं आस्था के साथ खिलवाड़ है। यही पुस्तक संबंधित विभाग में पढ़ायी जा रही है। इससे छात्र दिग्भ्रमित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास को जनजातीय सुरक्षा मंच के लेटर हेड पर एक मांग पत्र दिया गया है। इसमें झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव, केंद्रीय युवा सरना विकास समिति के अध्यक्ष सोमा उरांव, जनजातीय युवा मंच के प्रांत संयोजक संदीप उरांव के हस्ताक्षर हैं। इस पर गृह विभाग गंभीर है। विभाग की ओर से रामदयाल मुंडा शोध संस्थान से रिपोर्ट मांगी गयी है।
    पत्र में कहा गया है कि उरांव आदिवासियों का कोई लिखित ग्रंथ नहीं होता। इस जाति में अपने पुरखों द्वारा बनायी व्यवस्था, नियम, कानून, परंपरा और पूजा पद्धति का निर्वहन किया जाता है। इसमें उरांव समुदाय के सृष्टि स्थल को बुरा-भला कहना दुखद है। इस पुस्तक के माध्यम से कुछ इसाई धर्मगुरुओं द्वारा आदिवासियों की आस्था और विश्वास को नष्ट करने का प्रयास किया गया है। नेमहा बाइबल में सरना पूजा स्थल को नष्ट करना, करम पर्व को बुरा पर्व बताना आदि भी आपत्तिजनक है। पुस्तक में आदिवासी पूजा पद्धति को समाप्त किये जाने का षडयंत्र हैं।
    क्या है कुड़ुख ग्रंथ में
    पुस्तक की पृष्ठ संख्या 615 से 617 में सीरा सीता नाले ककड़ो लाता के बारे में लिखा गया है कि इसाई धर्म पुस्तक नेमहा बाइबल में जो जिक्र है, वही इसमें भी है। पृष्ठ संख्या 183 में भी अभद्र शब्दों का प्रयोग किया गया है। पृष्ठ संख्या 426, 91, 81, 16 से 18 में भी बाइबल के प्रार्थना और प्रवचन को डाला गया है।

    Again the issue of objectionable facts in Kuduk Granth
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