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    Home»Top Story»राज्यपाल वीसी को हटा दें, या एबीवीपी को नियंत्रित करे भाजपा
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    राज्यपाल वीसी को हटा दें, या एबीवीपी को नियंत्रित करे भाजपा

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 28, 2019Updated:August 28, 2019No Comments6 Mins Read
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    कुलपति को आतंकवादी बता रहे छात्र
    विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण को बीते सोमवार को रांची विवि के पीजी अर्थशास्त्र विभाग में करीब एक घंटे तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने बंधक बना लिया और जम कर प्रदर्शन किया। इस दौरान डॉ शरण के अलावा विभाग के सभी शिक्षकों-शिक्षिकाओं को भी बंधक बनाकर रखा गया। इतना ही नहीं, कुलपति की गाड़ी पर छात्रों ने लिख दिया कि वह आतंकवादी है। उनकी गाड़ी पर कालिख पोती गयी, उन्हें काला झंडा दिखाने की कोशिश की गयी और छात्रों ने उन्हें अर्बन नक्सलवादी तक बता दिया। छात्र उन पर नक्सली समर्थक होने का अरोप पहले से ही लगाते रहे हैं। हालांकि बाद में स्थानीय पुलिस की मदद से कुलपति और अन्य शिक्षकों को सुरक्षा के बीच विभाग से निकाला गया। विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने वीसी गो बैक सहित कई अपशब्द लिख दिये। गाड़ी के सामने लेट गये। प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
    एक महीने से जारी है विवाद और छात्रों का प्रदर्शन
    दरअसल प्रो रमेश शरण और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बीच पिछले एक माह से विवाद चल रहा है। कुलपति रहते हुए उनके एक बयान को विद्यार्थी परिषद ने अर्बन नक्सल समर्थित बताया है। परिषद के वरिष्ठ सदस्य याज्ञवालक्य शुक्ल का आरोप है कि उनकी विचारधारा अर्बन नक्सलवाद का समर्थन करती है। वह जिस पद पर हैं, उन्हें इससे ऊपर उठना चाहिए। शुक्ल ने कहा कि ऐसी विचारधारा के व्यक्ति को कुलपति पद पर बने नहीं रहने देना चाहिए। पिछले दिनों विनोबा भावे विवि का दीक्षांत समारोह हुआ था। राज्यपाल कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। उसी दिन कश्मीर में धारा 370 हटायी गयी। इसकी सूचना कुलपति को जैसे ही मिली, उन्हंोने कार्यक्रम बीच में ही रूकवा दिया। इससे बवाल मच गया। परिषद के सदस्यों ने इसकी शिकायत राज्यपाल से भी की थी। साथ ही परिषद ने दीक्षांत समारोह के दौरान काले कपड़ों में डिग्री दिये जाने का भी विरोध किया। शुक्ल ने कहा कि राज्यपाल पहले ही काले गाउन में डिग्री दिये जाने की व्यवस्था समाप्त कर चुकी हैं, तो विद्यार्थियों को काले कपड़े क्यों पहनाये गये। उन्होंने यह भी अरोप लगाया कि जो डिग्रियां दी गयी हैं, उनमें भी काफी गड़बड़ी है। इन सभी मामलों को लेकर छात्रों ने राज्यपाल से मिल कर ज्ञापन भी सौंपा था। पर वीसी उनके खिलाफ केस करवा रहे हैं और फेसबुक पर पैसा मांगने का आरोप लगा रहे हैं।
    छात्रों पर दर्ज हो चुकी है प्राथमिकी
    छात्रों के आंदोलन और हंगामे को लेकर विवि प्रशासन की ओर से उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है। विद्यार्थी परिषद के आठ पदाधिकारियों समेत 50 अन्य कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज कराया है। आठ अगस्त को परिषद के कार्यकर्ताओंं ने वीसी प्रो रमेश शरण का घेराव किया था। दीक्षांत समारोह में अराजकता और बिना उपाधि घर लौटे अभ्यर्थियों के मामले में वीसी को दोषी बताते हुए कई आरोप लगाया और उनसे इस्तीफा की मांग की थी। इसी मामले को लेकर रजिस्ट्रार डॉ बंशीधर रूखैयार ने कोर्रा थाना में परिषद के दीपक देवराज मेहता, रोहित, रूद्र प्रताप, अमित चौबे, रौशन कुमार, नवलेश सिंह, रीतेश यादव और सुमिल लहरी को आरोपी बनाया है। इनके साथ अन्य 50 को भी आरोपी बनाया है।

    वीसी: आचरण के खिलाफ
    विनोबा भावे विवि के कुलपति प्रो रमेश शरण पदभार संभालने के बाद से ही विवादों से घिरे रहे। गाहे-बगाहे उनके बयानों को लेकर विवाद होता रहा। उनकी विचारधारा को विद्यार्थी परिषद के छात्र अर्बन नक्सली समर्थक बताते हैं। छात्रों का आरोप है कि अपनी इसी विचारधारा के तहत कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने पर उन्होंने दीक्षांत समारोह जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को बीच में ही रूकवा दिया, जबकि राज्यपाल स्वयं वहां मौजूद थीं। कार्यक्रम में गलत डिग्रियां बांटी गयीं। इतना ही नहीं, अब कुलपति फेसबुक पर कमेंट कर आचरण के खिलाफ व्यवहार कर रहे हैं। यदि किसी ने उनसे एक लाख रुपये कार्यक्रम के लिए मांगें, तो इसे लेकर फेसबुक पर कमेंट करने की क्या जरूरत थी। वह एफआइआर कर सकते थे। फेसबुक पर इस तरह के पोस्ट कर वह क्या बताना चाहते हैं।

    राजभवन की चुप्पी
    इस मामले को लेकर राजभवन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जब कभी भी कुलपति ने विवादित बयान दिये, तो उसी समय एक्शन क्यों नहीं लिया गया। किन हालात में और क्यों दीक्षांत समारोह को बीच में रोका गया, राजभवन ने कभी इस मामले को जानने की कोशिश नहीं की, जबकि कार्यक्रम में राज्यपाल स्वयं मौजूद थीं। डिग्रियों में गड़बड़ी समेत तमाम मामलों की जानकारी एबीवीपी के छात्रों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर दी। बावजूद इसके कुलपति या विवि प्रशासन ने छात्रों द्वारा उठाये गये बिंदुओं पर जानकारी नहीं ली गयी। काले गाउन का प्रावधान समाप्त होने के बावजूद काले कपड़ों में डिग्रियां कैसे प्रदान की गयीं, जबकि यह प्रावधान राजभवन द्वारा ही हटाया गया है। कुलपति द्वारा फेसबुक पर कमेंट किये जाने और छात्रों की बयानबाजी तथा उनके हुड़दंग पर भी राजभवन की खामोशी समझ से परे है।

    एबीवीपी: गुरु-शिष्य के रिश्ते को किया तार-तार

    सोमवार को रांची विवि परिसर में जो भी हुआ, उससे गुरु-शिष्य की परंपरा तो तार-तार हुई ही, कुलपति पद की गरिमा का भी हनन हुआ। किसी शिक्षक या कुलपति को आतंकवादी बताना राजभवन और राज्य सरकार पर उंगली उठाने जैसा है, क्योंकि कुलपति की नियुक्ति राजभवन द्वारा सरकार की सहमति से ही की जाती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोध का तरीका होता है। शिक्षकों ने भी छात्रों के इस रवैये का विरोध किया है। उनके अनुसार अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब शब्दों की सीमा लांघना नहीं हो सकता। वह भी कुलपति जैसे गरिमामय पद के खिलाफ। कुलपति को बीच सड़क पर रोक कर नंगा नाच करना, जैसा कि गिरिडीह में हुआ, छात्रों की हरकत नहीं कही जा सकती। कुलपति को खुलेआम चुनौती देना, विद्यार्थी आचरण के खिलाफ है।

    मंत्री ने दी सियासी हवा, झामुमो ने किया विरोध
    कुलपति डॉ रमेश शरण की कार पर आतंकवादी लिखे जाने का मामला सियासी रंग लेता जा रहा है। मंत्री सीपी सिंह ने एबीवीपी के छात्रों का बचाव करते हुए कुलपति से माफी मांगने की मांग की है। मंत्री कहा कि धारा 370 हटने पर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान कुलपति मर्माहत दिखे। सार्वजनिक रूप से ऐसा शो नहीं करना चाहिए। एबीवीपी के छात्र राष्ट्रवादी विचारधारा के हैं। ऐसे में देश के खिलाफ खड़े होने वालों का विरोध होगा ही। कुलपति इसी के शिकार हो रहे हैं।
    वहीं, जेएमएम ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मंत्री के बयान की निंदा की है। जेएमएम महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि बीजेपी से वैचारिक मतभेद रखने वालों को आतंकवादी तक बता दिया जाता है। उन्हें प्रताड़ना भी झेलनी पड़ती है। वहीं यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। देश में सरकार और बीजेपी से वैचारिक मतभेद रखने वाले आतंकवादी भी हो जायेंगे और उन्हें प्रताड़ना भी झेलनी होगी। मंत्री सीपी सिंह को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए।

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