सारंडा के घने जंगल के बीच अवस्थित टोंटो गांव के लोग नक्सलवाद से मुक्ति के लिए छटपटा रहे हैं। चाईबासा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की आबादी करीब चार सौ है। पूरा टोंटो प्रखंड घनघोर उग्रवाद ग्रस्त है। घने जंगल में स्थित इस गांव में सरकार ने पेयजल की सुविधा उपलब्ध करायी है। विकास के दूसरे काम भी हुए हैं। गांव के लोग सरकारी योजनाओं से जुड़ कर विकास की राह पर चलना चाहते हैं। चाईबासा के 18 में से 16 प्रखंड उग्रवादग्रस्त हैं। जिले में नक्सली हमलों की कई घटनाएं हो चुकी हैं। बोलबा, मनोहरपुर, विटिकल सोय में बड़े नक्सली हमले हो चुके हैं।
टोंटो में विकास योजनाओं की हकीकत को देखने के लिए गुरुवार को पत्रकारों का एक दल गया था। इसमें टोंटो प्रखंड के बीडीओ देवराम भगत, जेई अश्विनी सिंह सरदार, प्रधानमंत्री आवास योजना की कोआॅर्डिनेटर शीतल, प्रखंड कोआॅर्डिनेटर महेंद्र भी साथ थे। वहां पहुुंचने से पहले ही विकास कार्यों की झलक मिल ने लगी। जंगल शुरू होने के बाद सुनसान रास्ते पर जो भी ग्रामीण मिला, बातचीत के क्रम में उसने स्वीकार किया कि हाल के दिनों में इस इलाके में विकास कार्य तेजी से हुए हैं। अब अधिकारी उनके हालचाल लेने आते हैं। टोंटो के ग्रामीण पहले पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करते थे। रघुवर दास सरकार ने गांव की इस समस्या को दूर करने का फैसला किया और आज गांव में पानी की सप्लाई हो रही है। इतना ही नहीं, टोंटो का नया प्रखंड भवन भी बन गया है। ग्रामीणों का जीवन सहूलियतों से भर गया है। उन्हें अब सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है।
नक्सलियों से मुक्ति के लिए आगे आ रहे हैं टोंटो के ग्रामीण
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