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    Home»Top Story»झारखंड की आवाज बनते तीन नये सांसद
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    झारखंड की आवाज बनते तीन नये सांसद

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskAugust 3, 2019No Comments5 Mins Read
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    17वीं लोकसभा के पहले सत्र में ही छोड़ी छाप, हर दिन राज्य से जुड़ा कोई न कोई मसला उठाते रहे

    पिछले 23 मई को, जब 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव का परिणाम घोषित हुआ और झारखंड के 14 में से पांच सांसद ऐसे चुने गये, जिन्हें पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में जाने का अवसर मिला, उस समय राज्य के लोगों ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि ये नये सांसद सत्र के दौरान झारखंड की आवाज बन जायेंगे। ये पांच नये सांसद थे, रांची से संजय सेठ, कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, गिरिडीह से चंद्रप्रकाश चौधरी, चाईबासा से गीता कोड़ा और दुमका से सुनील सोरेन। इनमें से तीन भाजपा के टिकट पर चुने गये, जबकि चंद्रप्रकाश चौधरी आजसू के टिकट पर चुने गये। गीता कोड़ा कांग्रेस की सांसद बनीं। पहली बार चुन कर सांसद बने इन पांच में से तीन ने 17वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में अपने कामकाज और सक्रियता की छाप छोड़ दी है।
    तीन सबसे प्रभावशाली सांसद
    संजय सेठ, चंद्रप्रकाश चौधरी और अन्नपूर्णा देवी ने 17वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान लगभग हर दिन कोई न कोई मुद्दा उठाया है। चाहे वह मुद्दा छोटा ही हो, लेकिन उसे लोकसभा में उठाना ही बड़ी बात है। गुरुवार को रांची के सांसद संजय सेठ ने खलारी के लोगों की बदहाली का मुद्दा उठाया। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी बात बेहद तार्किक तरीके से रखी। उन्होंने कहा कि जिस खलारी के कोयले से पूरा देश जगमगाता है, वहां के लोगों के जीवन में इतना अंधेरा क्यों है। संजय सेठ द्वारा इस मुद्दे को उठाया जाना इसलिए भी रेखांकित करनेवाली बात है, क्योंकि लोकसभा में आज तक खलारी का मुद्दा नहीं उठा था। इतना ही नहीं, अन्नपूर्णा और चंद्रप्रकाश ने जिस सुलझे हुए ढंग से अभ्रक उद्योग की समस्याओं को उठाया, वह पहली बार सांसद बननेवाले से उम्मीद नहीं की जा सकती।
    झारखंड से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता
    इन तीन सांसदों ने लोकसभा में जो मुद्दे उठाये हैं, वे बेशक देश के दूसरे हिस्सों के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हों, लेकिन ये झारखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन सांसदों का कहना है कि झारखंड और यहां की सवा तीन करोड़ की आबादी के लिए काम करना, उनकी आवाज बनना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए वे झारखंड से जुड़े मुद्दों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। सांसदों की इस सक्रियता में भाजपा आलाकमान की भी बड़ी भूमिका है। हर दिन सुबह से ही सांसदों को सक्रिय किया जा रहा है, तो नये सांसदों का जोश और उत्साह भी बढ़ता है। अपनी पार्टी का प्रोत्साहन पाकर इनका कामकाज दिन-प्रतिदिन निखर रहा है।
    अपने क्षेत्र में भी हैं सक्रिय
    ऐसा नहीं है कि ये तीनों सांसद केवल सदन के भीतर ही सक्रिय हैं। रांची, कोडरमा और गिरिडीह के लोग भी अब महसूस करने लगे हैं कि विकास यात्रा में सांसद की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पहले जहां सांसदों की बात एक अदना सा कर्मचारी भी नहीं सुनता था, वहीं अब देखा जा रहा है कि ये तीन सांसद जिले के किसी भी वरीय अधिकारी को सड़क पर बुला लेते हैं। रांची के सांसद संजय सेठ ने तो पिछले तीन महीने में कम से कम 30 बार प्रशासनिक अमले को बुलाया है और एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि उनके बुलावे पर कोई अधिकारी न पहुंचा हो। कोडरमा और गिरिडीह में भी कमोबेश यही देखने को मिल रहा है। पानी, बिजली, सड़क से लेकर कानून-व्यवस्था तक की समस्याओं में सांसद सक्रिय रूप से शामिल होते हैं और इन्हें हल करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
    हमेशा क्षेत्र से जुड़े रहते हैं
    संजय सेठ हों या अन्नपूर्णा देवी या चंद्रप्रकाश चौधरी, इनके साथ एक खास बात यह है कि ये सभी हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों से जुड़े हुए रहते हैं। दिल्ली में रहकर भी अपने इलाके के लोगों से इतना नजदीकी जुड़ाव आज से पहले कभी किसी ने महसूस नहीं किया था। एक तरफ जहां लोग अपने सांसदों-विधायकों के लापता होने के पोस्टर लगा रहे हैं और उन्हें ढूंढ़ कर लाने वाले के लिए इनाम की घोषणा करते हैं, रांची, कोडरमा और गिरिडीह के लोग इस मायने में अपने को खुशकिस्मत भी मान रहे हैं और गर्व भी महसूस कर रहे हैं। इन तीनों सांसदों के चुनाव क्षेत्र के लोग अब खुले मन से स्वीकार करने लगे हैं कि इससे पहले उन्हें अपने सांसदों के इतना करीब होने का मौका नहीं मिला था। सार्वजनिक जीवन में रहनेवाले किसी भी व्यक्ति के लिए इससे बड़ी तारीफ नहीं हो सकती है। इतना ही नहीं, ये सांसद अपने कामकाज के बारे में अपने क्षेत्र के लोगों से नियमित फीडबैक भी ले रहे हैं, ताकि अपने कामकाज को सुधार सकें। राजनीति में यह नया ट्रेंड है और इस मायने में ये नये सांसद ट्रेंडसेटर साबित हो रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर दूसरे संचार माध्यमों पर हमेशा सक्रिय रहनेवाले इन सांसदों से यदि क्षेत्र की जनता खुश है, तो फिर इन्हें किसी और चीज की जरूरत ही नहीं है।
    कहा जा सकता है कि पहली बार लोकसभा तक पहुंचनेवाले ये तीन सांसद ग्लैमर की चकाचौंध में खो नहीं गये हैं और अब तक जमीन से जुड़े होने का शानदार प्रमाण पेश कर रहे हैं। उन्हें देश के दूसरे मुद्दों की चिंता तो है, लेकिन प्राथमिकता में उनका अपना क्षेत्र है। उनके कामकाज से साबित हो गया है कि झारखंड के लिए आनेवाला दिन बेहद चमकीला है।

    Three new MPs are becoming the voice of Jharkhand
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