राममन्दिर भूमिपूजन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए कइयों ने बलिदान दिए, मंदिर के निर्माण से सदियों की आस पूरी होने से लोगों में आनंद का माहौल है। उन्होंने कहा कि यह भारत को वैभवशाली बनाने की शुरुआत है।
इस भव्य कार्य के लिए प्रभु श्री राम जिस धर्म के लिए जाने जाते हैं, जो दुनिया को सुख-शांति का संदेश देता है, उसके लिए हमें अपने मन को भी अयोध्या बनाना है। हमें हमारे मन को मंदिर बनाना होगा। पुरुषार्थ का भाव हमारे रग-रग में है। भगवान राम का उदाहरण है। सब राम के हैं और सबमें राम हैं। यह सभी भारतवासियों के लिए है। कोई अपवाद नहीं। संघ प्रमुख ने कहा कि मुझे स्मरण है कि तब के हमारे संघ के सरसंघचालक बाला साहब देवरस जी ने यह बात हमको कदम आगे बढ़ाने से पहले याद दिलाई थी। 30 साल काम करना होगा तब यह काम होगा, हमने किया। संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि अनेक लोगों ने बलिदान दिए हैं और सूक्ष्म रूप में यहां उपस्थित हैं। कई लोग आ नहीं सके। कई आ सकते थे पर बुलाए नहीं जा सकते थे क्योंकि परिस्थिति ऐसी है। लालकृष्ण आडवाणी भी नहीं आ पाए हैं। वह अपने घर में बैठकर इस कार्यक्रम को देख रहे होंगे। अशोक सिंघल आज होते तो कितना अच्छा होता। उन्होंने कहा कि देश में अब आत्मनिर्भर बनाने की ओर काम जारी है, आज महामारी के बाद पूरा विश्व नए रास्तों को ढूंढ रहा है। जैसे-जैसे मंदिर बनेगा, राम की अयोध्या भी बननी चाहिए। हमारे हृदय में राम का बसेरा होना चाहिए तभी सभी द्वेषों से विकार से मुक्ति मिलेगी। संघ प्रमुख ने कहा कि इस समय पूरे देश में आनंद की लहर है। सदियों की आस पूरे होने का आनंद है और यह सबसे बड़ा आनंद है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकता थी। जिस आत्म भान की आवश्यकता थी उस का शुभारंभ आज हो रहा है।
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