वॉशिगटन: अमेरिकी विशेषज्ञों ने शरीर में कोरोना को बढ़ने से रोकने में सक्षम पहले से मौजूद एक नई दवा की पहचान की है. एब्सेलेन नाम की इस दवा का इस्तेमाल फिलहाल बायपोलर डिसऑर्डर और हेयरिंग डिसऑर्डर के इलाज में किया जा रहा है. अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि इस दवा से कोरोना का शुरुआती दौर में इलाज किया जा सकता है. शरीर में कोरोना वायरस बढ़ाने वाले एंजाइम्स को कंट्रोल करने में भी सक्षम है.

 

जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एम्प्रो एंजाइम के खिलाफ जो दवा में कारगर लगी वह एब्सेलेन है. एम्प्रो ही वह एंजाइम है जो कोरोना वायरस को जेनेटिक मैटेरियल से प्रोटीन बनाने की क्षमता देता है. इसी की वजह से वायरस का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति में बढ़ता है.

 

अत्याधुनिक कंप्यूटर सिमुलेशन का इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि बायपोलर डिसऑर्डर की एब्सेलेन दवा एम्प्रो को कम करने में सक्षम है. साथ ही एब्सेलेन इंसानों के लिए सुरक्षित भी है. इसलिए इस दवा का इस्तेमाल कोरोना से संक्रमित लोगों के इलाज में भी किया जा सकता है. हालांकि, वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि अभी कोरोना के खिलाफ इसके प्रभाव को परखने के लिए और रिसर्च की जरूरत है.

 

बता दें, दुनिया में कोरोना के इलाज के लिए कारगर पहले से मौजूद कई दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है. इसमें रेमडेसिविर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, फेविपिराविर, डेक्सामेथासोन समेत कई दवाएं हैं. इनका इस्तेमाल कोरोना के हर तरह के मरीज के इलाज में किया जाता है.

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