राजस्थान में पिछले 32 दिनों तक चली सियासी उठापटक के बाद शुक्रवार (आज) से 15वीं विधानसभा का पांचवा सत्र शुरू हो रहा है। सत्र में गहलोत सरकार विश्वासमत लाएगी। वहीं भाजपा ने गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की है। बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे पहले बसपा ने व्हीप जारी कर विधायकों को कांग्रेस के खिलाफ वोट डालने को कहा था।  
भाजपा और कांग्रेस के विधायक दलों की बैठक गुरुवार को हुई। बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर रणनीतिक बनाई गई। मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक ली। बैठक में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत बागी हुए 19 विधायक भी पहुंचे। बैठक में गहलोत ने कहा हम खुद विधासभा में विश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे। हम 19 विधायकों के बगैर भी बहुमत साबित कर लेते लेकिन तब उतनी खुशी नहीं मिल पाती। अपने तो अपने ही होते हैं, जो हुआ है, उसे भूल जाएं। 
 
उधर भाजपा विधायक दल की बैठक भाजपा मुख्यालय पर हुई। बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री मुरलीधर राव और प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना मौजूद रहे। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि विपक्ष के नाते पूरी मजबूती के साथ विधानसभा में जनहित के मुद्दों को उठायेंगे और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर करेंगे। विकास कार्यों के नाम पर प्रदेश की जनता से वादाखिलाफी कर रही कांग्रेस सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आयेंगे। होटल के बाड़े में बंद होकर मौज-मस्ती करने में व्यस्त सरकार को प्रदेश की जनता की कोई चिंता नहीं है। 
राजस्थान हाईकोर्ट में बहुजन समाज पार्टी विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मामले में गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी की ओर से बहस पूरी हो गई थी। वहीं कांग्रेस में शामिल हुए राजेन्द्र गुढ़ा सहित अन्य विधायकों की ओर से बहस की जाएगी। अदालती समय पूरा होने के चलते न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने बसपा और मदन दिलावर की याचिकाओं पर सुनवाई शुक्रवार को सुबह रखी है।
 
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सियासी संकट के बीच सरकार 31 जुलाई को ही शार्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र आहूत करवाना चाहती थी। लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र ने कोरोना काल का हवाला देते हुए विशेष परिस्थिति नहीं होने के कारण सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद राजभवन और सरकार के बीच टकराव के हालात बन गए थे। बाद राज्यपाल ने 21 दिन के सामान्य नोटिस पर ही सत्र आहूत करने की अनुमति दी। 
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