सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की सीबीआइ जांच के आदेश को सही ठहरा दिया है। इसके साथ ही दिवंगत अभिनेता के परिवार और उनके लाखों प्रशंसकों की आंखों में इंसाफ पाने की उम्मीद की एक चमक दिखाई देने लगी है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि सुशांत की मौत के बाद मुंबई की पुलिस और महाराष्ट्र की सरकार ने जो रवैया अपनाया था, वह न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि कई संदेहों को भी जन्म दे रहा था। मामले की जांच के लिए मुंबई पहुंची बिहार पुलिस की टीम के साथ वहां की पुलिस ने जो सलूक किया और फिर दूसरी जांच एजेंसियों के साथ जो व्यवहार किया गया, उसने सुशांत की मौत को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया था। बात राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तक पहुंच गयी थी। इतना ही नहीं, भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद से लेकर सुशांत की मौत के पीछे के कारणों पर लगातार बहस हो रही थी। अब इन सारी बहसों पर विराम लग गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की निष्पक्षता से जांच होगी और यदि कोई इस मामले में दोषी है, तो उसे निश्चित रूप से सजा मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की अब तक हुई जांच पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच अब सीबीआइ करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देते हुए साफ कर दिया है कि दिवंगत अभिनेता के पिता द्वारा पटना में दर्ज करायी गयी एफआइआर और बिहार सरकार द्वारा मामले की सीबीआइ जांच की सिफारिश करना वाजिब था। इसके साथ ही सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों और दिवंगत अभिनेता के हजारों-लाखों प्रशंसकों में इंसाफ पाने की उम्मीद जगी है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने न केवल व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर विभाजित हो चुके समाज की कलई खोल कर रख दी है। इस एक मामले ने साबित कर दिया कि भारत की व्यवस्था आज भी दो खेमों में बंटी हुई है। एक खेमे की आंखें संपन्न और चमकीली महानगरीय संस्कृति की चकाचौंध में लगभग मुंदी हुई हैं, तो दूसरा खेमा आज भी अपने मध्यवर्गीय सोच के साथ तमाम कठिनाइयों और अवरोधों के बावजूद इंसाफ पाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है।
सुशांत की मौत ने महानगरों की पाश्चात्य संस्कृति और फिल्म जगत की चमकीली दुनिया के पीछे की एक काली दुनिया को सामने लाकर रखा है, जिसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी है। भाई-भतीजावाद से लेकर जल्दी अमीर बनने की चाहत और भौतिक चमक-दमक पर हर रिश्ता कुर्बान करने की बढ़ती प्रवृत्ति को इस मामले ने सामने रखा है। इसके अलावा प्यार, दैहिक आकर्षण, क्षेत्रवाद और राजनीतिक विद्वेष तक की बातें इस मामले से जुड़ी हैं।
अब, जबकि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की सीबीआइ जांच का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है, तब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इस मामले पर इतना हंगामा क्यों मचा। सुशांत से पहले भी फिल्मी दुनिया से जुड़ी कई हस्तियों ने जान दी है, लेकिन कभी किसी मामले को लेकर इतना हंगामा नहीं खड़ा हुआ। इस सवाल का जवाब यही है कि सुशांत की मौत ने समाज में तेजी से हो रहे बिखराव और जल्द से जल्द कामयाब होने की अंधी दौड़ के अंधेरे पहलुओं को उजागर किया है। इसलिए सुशांत की मौत दूसरी हस्तियों की अस्वाभाविक मौत से अलग है। सुशांत की मौत ने महानगरीय समाज का वह विकृत चेहरा सामने रखा है, जिसमें वह सब कुछ है, जो एक आम भारतीय समाज में अब तक वर्जित रहा है।
सुशांत की मौत के बारे में अब तक जो बातें सामने आयी हैं, उनसे तो यही लगता है कि यह आत्महत्या का मामला नहीं है, बल्कि इस मामले के कई पहलू हैं। इनमें आपराधिक साजिश के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक पहलू भी हैं। इन सबसे अलग मामले का राजनीतिक पहलू भी है। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस ने जितनी ताकत लगा कर अब तक इस मामले की गहराई से जांच को रोक कर रखा है, वह हैरतअंगेज है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि मुंबई पुलिस ने इस मामले में केवल इन्क्वायरी की है, कोई जांच नहीं की। यह मामला राजनीतिक रूप से भी इसलिए संवेदनशील हो गया है, क्योंकि इसकी लपटें महाराष्ट्र के सत्ता शीर्ष तक पहुंचने लगी हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि मामले की जांच को प्रभावित करने के लिए राजनीतिक हथकंडों का इस्तेमाल किया जाये।
जहां तक सीबीआइ का सवाल है, तो तमाम विवादों और संदेहों के बावजूद सीबीआइ आज भी देश की सबसे उत्कृष्ट जांच एजेंसी मानी जाती है। इसकी क्षमता और निष्पक्षता पर पूरे देश को भरोसा है। भले ही इस एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किये जाने के आरोप लगते रहे हों, लेकिन हकीकत यही है कि आज भी लोग किसी मामले की जांच के लिए अंतिम नाम सीबीआइ का ही लेते हैं। इस एजेंसी के पास जांच करने का अपना तरीका और अपने संसाधन हैं। संवेदनशील मामलों को कैसे हैंडल करना है, इससे सीबीआइ के अधिकारी पूरी तरह वाकिफ हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के कारणों का खुलासा हो सकता है। इस मामले में इतने सारे किरदार, इतने तथ्य और इतनी कहानियां सामने आ चुकी हैं कि उन्हें सिलसिलेवार ढंग से जोड़ना और फिर मामले की तह तक पहुंचना बेहद चुनौती भरा है। इसके साथ ही सीबीआइ को महाराष्ट्र सरकार और उसकी पुलिस के असहयोग का भी सामना करना पड़ सकता है, जो उसने बिहार पुलिस के साथ दिखा दिया है।
अब बिहार के साथ हिंदी पट्टी के लोग और दुनिया भर में फैले सुशांत सिंह राजपूत के प्रशंसक उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब मामले की सच्चाई सामने आयेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ को जांच आगे बढ़ाने में कोई अवरोध नहीं आयेगा, यही उम्मीद की जानी चाहिए।