वकील प्रशांत भूषण ने हिंदू अखबार के संपादक और अरुण शौरी के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी)(आई) को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के सम्मान को गिराने वाले बयान पर लगने वाली ये धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है।
याचिका में कहा गया है कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी)(आई) असंवैधानिक है और यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि ये धारा संविधान की धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन करती है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के दो ट्वीट को लेकर कार्रवाई शुरू करके 22 जुलाई को उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया है।एक ट्वीट में वे लिखते हैं कि चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट को आम आदमी के लिए बंद कर दिया है। ट्वीट में लिखा गया है कि चीफ जस्टिस बिना हेलमेट या मास्क के भाजपा नेता की बाइक चला रहे हैं। दूसरे ट्वीट में वो चार पूर्व चीफ जस्टिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
कोर्ट ने 24 जुलाई को प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के कोर्ट की अवमानना मामले की सुनवाई  4 अगस्त तक के लिए टाल दी थी।प्रशांत भूषण के खिलाफ  2009 में भी कोर्ट की अवमानना का केस शुरू किया गया था। प्रशांत भूषण पर पूर्व चीफ जस्टिस एच एस कपाडिया और केजी बालाकृष्णन के खिलाफ आरोप लगाने का मामला है।
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