राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच पार्टियों और नेताओं की ओर से एक दूसरे पर राजनीतिक हमलों का दौर जारी है। शनिवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है। उन्होंने गहलोत पर सियासी शक्ति का बेजा इस्तेमाल करते हुए अपनी बेटी और दामाद को अवैध रूप से करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है।
राज्य मंत्री चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांगते हुए पूछा कि आपके झूठे गांधीवादी कुर्ते में छिपी कालेधन की बड़ी जेब राजस्थान की जनता की मेहनत की कमाई को क्यों लूट रही है? उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास आई शिकायत के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संवैधानिक पद की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपने चहेतों को फ़ायदा पहुंचाने की मंशा से राजस्थान के राजस्व में मुनाफा देने वाली चुनिंदा एजेंसीज में से एक राजस्थान वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के तहत भंडारण के टेंडर में जान-बूझकर ऐसी शर्तें डालीं, जिसमें राजस्थान की केवल एकमात्र कम्पनी भाग ले पाई। तकरीबन 2000 करोड़ रुपये के टेंडर का फायदा लेने वाली कल्पतरू ग्रुप की इस कंपनी का नाम महाराष्ट्र में सेना की जमीन हथियाने के मामले में भी आ चुका है। मुम्बई के बेहद पॉश इलाके परेस में मौजूद फ्लैट नंबर 182 (तकरीबन कीमत 8 करोड़) का संबंध भी इसी कल्पतरू ग्रुप से है, जिसमें मुख्यमंत्री गहलोत की बेटी और दामाद रहते हैं। उन्होंने कहा कि कल्पतरू ग्रुप की एक कम्पनी शौरी कंस्ट्रक्शंस के 50 फीसदी शेयर मुख्यमंत्री गहलोत की पुत्री के नाम कर दिए और दामाद को कम्पनी का डायरेक्टर बना दिया गया।
चौधरी ने मुख्यमंत्री गहलोत पर भृष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि धन मोह में उन्होंने अपनी पुत्री व दामाद की हिस्सेदारी वाली कम्पनी के पैरेंट ग्रुप को जयपुर के जलमहल की लगभग 2000 करोड़ की बेशकीमती जमीन को मात्र कुछ करोड़ में 99 साल की लीज पर देना और वेयर हाउसिंग का टेंडर देने के लिए इनके अनुकूल शर्तें रखना क्या राजस्थान की जनता के लिए अनुचित नहीं है? चौधरी ने कहा कि गहलोत को नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। अब उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। प्रदेश की जनता इस लूट के लिए उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।
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