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    Home»Top Story»भारत-चीन के रिश्ते में अब अमेरिका नहीं रूस होगा बड़ा मददगार, रक्षा मंत्री अगले हफ्ते जा सकते हैं मास्को
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    भारत-चीन के रिश्ते में अब अमेरिका नहीं रूस होगा बड़ा मददगार, रक्षा मंत्री अगले हफ्ते जा सकते हैं मास्को

    sonu kumarBy sonu kumarAugust 29, 2020No Comments3 Mins Read
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    भारत और चीन के बीच में रिश्ते सामान्य करने में अमेरिका ने कई प्रयास किए। दक्षिण चीन सागर में में भी धमक दिखाई, लेकिन बात बनती नहीं दिखी। अब एक बार फिर निगाहें देश के सबसे पुराने विश्वसनीय सामरिक साझीदार देश रूस की तरफ हैं। राजनयिक गलियारे के सूत्र बताते हैं कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन के बीच में तनाव कम करने में कुछ रुचि दिखाई है।

    बताते हैं यह पहल विदेश मंत्री एस जयशंकर के कूटनीतिक प्रयास के बाद हुई है। भारत ने एक तरह से संकेत दिया कि चीन से सीमा विवाद के इतने जटिल तनाव के दौर में वह एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक में कैसे शरीक हो सकता है?
    भारत कई फोरम पर रूस, चीन के साथ महत्वपूर्ण भागीदार है
    एशिया में अपनी धमक बनाए रखने की रणनीति के तहत रूस, चीन और भारत के साथ कई फोरम पर सक्रिय है। भारत, रूस और चीन तीनों देशों के (आरआईसी) त्रिपक्षीय, रूस, भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के साथ (ब्रिक्स), रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान समेत अन्य के साथ एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) काम कर रहा है। रूस इन सभी संगठनों में अगुआ है।

    ऐसे में भारत के दूरी बनाने के बाद इन संगठनों की धार पर बड़ा असर पड़ सकता है। माना जा रहा है कि भारत का यह कूटनीतिक संदेश काफी कारगर हो सकता है। दूसरे रूस की भी कोशिश है कि आपस में संगठन के सदस्य देशों के बीच में टकराव के बजाय तालमेल होना चाहिए। ताकि भावी आपसी, क्षेत्रीय अथवा वैश्विक चुनौतियों का सामना किया जा सके। विदेश सचिव शशांक भी मानते हैं कि रूस ने ऐसे कई मौके पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया है। इतना ही नहीं भारत और चीन को करीब लाने में भी उसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
    9-11 सितंबर को एसओ की बैठक, 3-4 को मिलेंगे रक्षा मंत्री
    विदेश मंत्रालय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 3-4 जून को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक है। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दौरे का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इस दौरान चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग और राजनाथ सिंह के बीच में आपसी चर्चा हो सकती है। रक्षा मंत्रियों की इस बैठक को भारत और चीन के बीच में रिश्ते के लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है।

    9-11 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इसके लिए काफी उत्सुक हैं। सूत्र बताते हैं कि पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक में शामिल होने के लिए आनाकानी कर रहे थे। विदेश मंत्री एस जयशंकर का मानना था कि भारत-चीन के बीच में तनाव की स्थिति को देखते हुए बैठक से संकोच करना चाहिए।

    माना जा रहा है यह भारत की एक कूटनीतिक पहल थी। फिलहाल अब संभावना बन रही है कि एस जयशंकर 10 सितंबर को रूस जाएंगे। वहां चीन के विदेश मंत्री वांग यी, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच चर्चा होगी। इसके अलावा सर्गेई वांग यी और एस जयशंकर के बीच में द्विपक्षीय चर्चा भी होगी। इससे दोनों देशों के तनाव को लेकर कोई समाधान निकलने की उम्मीद है।

     

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