रांची। झारखंड में कोरोना चरम पर है। इस बीच राज्य के 10 हजार से ज्यादा अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मचारी बुधवार से ही हड़ताल पर चले गये हैं। गुरुवार को भी इनकी हड़ताल जारी रही। इनकी हड़ताल के कारण कोविड जांच में कमी आ गयी है। कई जिलों में स्वाब टेस्टिंग बंद है। झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ का कहना है कि राज्य सरकार हड़ताल खत्म करने के लिए कोई पहल नहीं कर रही है।
हड़ताली कर्मचारियों में 750 लैब टेक्नीशियन भी
कोरोना काल में सैंपल लेने से रिपोर्टिंग तक की जिम्मेदारी अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी ही संभाल रहे हैं। हड़ताल पर जाने वालों में 750 लैब टेक्नीशियन भी हैं। ऐसे में अब कोरोना की जांच प्रभावित हो रही है। इसी बीच संघ से जुड़े एएनएम और जीएनएम ने भी बीते मंगलवार को सांकेतिक हड़ताल कर सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर दो दिन में उनकी मांगें नहीं मानी गयीं, तो वे भी हड़ताल पर चले जायेंगे।
विभाग ने दी कड़ा कदम उठाने की चेतावनी
इस बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने आपदा के समय स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल को अनुचित करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अनुबंधित स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल वापस नहीं ली तो सरकार उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा सकती है।
अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मचारियों की मांग
1. अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियों को स्थायी करें। स्थायी होने तक समान काम समान वेतन लागू करें।
2. इपीएफ की कटौती हो और आउटसोर्सिंग कर्मियों के बकाए का भुगतान हो।
3. कोविड-19 में लगे कर्मियों को बिहार, हरियाणा, ओड़िशा जैसा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिले।
4. अनुबंध कर्मियों की मौत पर वह सारे लाभ मिले, जो स्थायी कर्मचारी को मिलते हैं।
हड़ताल को माना जा सकता है आपराधिक मामला
आपदा प्रबंधन विभाग के पूर्व सलाहकार कर्नल संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 को केंद्र सरकार ने आपदा घोषित कर रखा है। आपदा की इस घड़ी में हड़ताल पर जाना सही नहीं है। आपदा प्रबंधन एक्ट-2005 की धारा 51 से 60 तक में जो प्रावधान हैं, उसके अनुसार इस हड़ताल को आपराधिक मामला माना जा सकता है।