आजाद सिपाही संवाददाता
अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ ही योगी आदित्यनाथ की खुशी देखते ही बन रही है। वह कहते हैं कि यह पल मेरे लिए बहुत भावुक था। उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से जवाब दिया। कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर के साथ-साथ विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की। मुख्यमंत्री योगी ने मस्जिद की नींव रखे जाने पर भी स्पष्ट जवाब दिया। सीएम योगी ने कहा कि मुझे न तो इस कार्यक्रम में कोई बुलायेगा और मैं जाऊंगा भी नहीं। दरअसल, मीडिया से बातचीत में योगी से सवाल किया गया कि राम मंदिर के भूमि पूजन पर आपने सभी धर्मों के लोगों को बुलाया, वे कार्यक्रम में शामिल भी हुए। ऐसे में कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में जब मस्जिद की नींव रखी जायेगी, तो सीएम योगी वहां नहीं जायेंगे। इस पर योगी ने कहा, मेरा जो भी काम है, वह मैं करूंगा। बाकी मुझे न तो वहां बुलाया जायेगा और मैं वहां जाऊंगा भी नहीं। योगी ने कहा, यह मेरे लिए भावुक, उत्साह-उमंग, गौरव का भी क्षण था। उत्साह-उमंग का इसीलिए, क्योंकि बाहर की सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी यूपी सरकार के पास है। मैंने पिछले तीन वर्षों में इस कार्य को बहुत नजदीक से महसूस किया है। मुझे पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो दायित्व दिया है, उस काम को करने के लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। मेरी गुरु परंपरा ने यह संकल्प दशकों पूर्व लिया था। यह आज साकार हुआ है। उन दिव्य आत्माओं को इससे असीम शांति मिल रही होगी। मंच पर जितने भी महानुभाव थे, ये सभी राम जन्मभूमि के साथ बहुत आत्मीय रूप से जुड़े रहे हैं। स्वाभाविक रूप से यह दिन हमारे लिए उमंग-उत्साह का दिन भी है।
भूमि पूजन से पहले योगी ने लिखा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमि पूजन से पहले एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, प्रभु श्रीराम के भक्तों का आह्लाद, सनातन संस्कृति का हर्ष-उत्कर्ष और पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा का सुफल, धर्मनगरी श्री अयोध्या जी में सहज प्रतिबिंबित हो रहा है। जय श्रीराम।
योगी आदित्यनाथ ने प्रियंका गांधी के बयान कि ‘राम सबके हैं’ पर भी जवाब दिया। योगी ने कहा कि राम सभी के हैं, हम पहले से ही यह बात कहते आये हैं। पहले ही यह सद्बुद्धि सभी को आ जानी चाहिए थी। जब कुछ लोगों के पूर्वजों ने रामलला की मूर्तियों को हटाने की कुत्सित चेष्टा की थी। आखिर कौन लोग थे वो, किसके पूर्वज थे, जो अयोध्या में रामलला का मंदिर नहीं चाहते थे। कौन लोग थे वे, जो गर्भगृह, जहां आज शिलान्यास हुआ है, 1989 में वहां शिलान्यास न करके वहां से दो सौ मीटर दूर कह रहे थे कि यहां शिलान्यास करेंगे। कह रहे थे कि विवादित परिसर में कुछ नहीं होना है। राम सबके हैं, राम के काम में सभी को सहभागी भी बनना चाहिए। राम के नाम पर बांटने का कुत्सित प्रयास नहीं करना चाहिए। हमने राम के नाम पर राजनीति नहीं की है। हम जिस निष्ठा के साथ 1984 में जुड़े थे, उसी निष्ठा से 2020 में भी जुड़े हुए हैं।