कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के रात्रि भोज की चर्चा इन दिनों राजनीतिक गलियारे में खूब हो रही है। चर्चा है कि कपिल सिब्बल की ‘डीनर डप्लोमेसी’ एक तीर से दो शिकार तो नहीं! इस रात्रि भोज को जहां भाजपा के खिलाफ 2024 में विपक्षी एकता के रूप में देखा जा रहा है, वहीं कांग्रेस की अंदरूनी कलह को भी हवा दे रही है। क्योंकि इस रात्रि भोज में तमाम विपक्षी दल के नेता एक मंच पर आय, लेकिन इसमें गांधी परिवार की गैर मौजूदगी रही। वहीं कांग्रेस के ‘जी-23’ ग्रुप के लगभग सभी सदस्य मौजूद थे।
कपिल सिब्बल ने अपने तीनमूर्ति स्थित आवास पर 9 अगस्त की रात भोज का आयोजन किया था। इसमें राकांपा प्रमुख शरद पवार, राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव, सपा के अखिलेश यादव, माकपा के राम गोपाल यादव, भाकपा के डी राजा समेत लगभग सभी क्षेत्रीय दलों के अध्यक्ष या प्रमुख शामिल हुए। गैर-भाजपाई दलों का एक मंच पर आना विपक्षी एकता की बात को आगे बढ़ाने का प्रयास कहा जा सकता है। इसमें 2022 में पांच राज्यों में होनेवाले चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा होने की बात भी सामने आ रही है।
गलियारे में एक और चर्चा ह। वह है इस भोज में गांधी परिवार की गैर मौजूदगी। हालांकि राहुल गांधी और प्रियंका दोनों दिल्ली के बाहर थे। कहा जा रहा है इस भोज में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर भी चर्चा हुई है। इस बात को हवा इसलिए और मिल रही है कि रात्रि भोज में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को संगठनात्मक सुधार के लिए पत्र लिखने वाले ‘जी-23’ के लगभग सभी सदस्य मौजूद थे। इनमें मेजबान सिब्बल के अलावा गुलाम नबी आजाद, भूपिंदर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक आदि नामों की चर्चा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार करे या कोई गैर गांधी, विपक्षी नेताओं को इससे मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ इस बात की चिंता है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की रीति नीति और कार्यशैली में बदलाव और सुधार होना चाहिए।
रात्रि भोज के दौरान जो बातें भी हुई हों, कुछ बातें साफ दिख रही हैं। रात्रि भोज में गैर भाजपा दलों के जितने लोग जुटे थ, यह दिखाता है कि सिब्बल को विपक्ष को एक मंच पर लाने में कुछ हद तक सफलता मिली है। यानी कांग्रेस के सीनियर लीडरशिप का विपक्षी एकता का प्रयास एक दिशा पकड़ने लगा है। दूसरी बात कि कांग्रेस के सीनियर लीडरशिप पार्टी के अंदरुनी हालात को भी ठीक करने की जुगत में है। पार्टी एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस नेतृत्व को कुछ बड़ा कदम उठाना होगा। अगर अब भी कदम नहीं उठाये गये तो कांग्रेस को भविष्य में संकट का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा इस ‘डीनर डप्लोमेसी’ की आवाज दूर तलक जायेगी, जिसकी धमक आने वाले समय में देखने को मिलने की उम्मीद की जा सकती है।