Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Thursday, June 5
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»बड़े मामलों की जांच में क्यों बार-बार फेल हो जाती है !
    Breaking News

    बड़े मामलों की जांच में क्यों बार-बार फेल हो जाती है !

    azad sipahiBy azad sipahiAugust 24, 2021No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    चिंता का सबब : चर्चित मामलों की जांच को अंजाम तक पहुंचाने में पिछड़ रही झारखंड पुलिस

    राज्य में पुलिस की छवि पर बार-बार सवालिया निशान लगता रहा है। इस बार हेमंत सरकार को अस्थिर करने के लिए विधायक खरीद-फरोख्त मामले को लेकर पुलिस कटघरे में है। इस मामले में पुलिसिया की ढीली कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला पूरे जोर-शोर से उजागर किया। तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। झारखंड से लेकर दिल्ली और मुंबई तक चक्कर काटे गये। महीना बीत गया और मामला अब ठंडे बस्ते में पहुंच गया है। झारखंड पुलिस उन विधायकों से पूछताछ का साहस नहीं कर पा रही है, जिन पर गिरफ्तार तीन लोगों के साथ दिल्ली जाने और भाजपा नेताओं से संपर्क करने का आरोप है। राज्य पुलिस के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें पुलिस ने इस तरह के अपरिपक्वता का परिचय दिया है। राज्य बनने के बाद से ही झारखंड पुलिस अपने कारनामों के कारण चर्चा में रही है। कभी फर्जी मुठभेड़, तो कभी फर्जी सरेंडर, तो कभी फर्जी मामले दर्ज करना। यह पहले भी होता रहा है और पुलिस की छवि पर असर पड़ता रहा है। एक नहीं कई दफा ऐसा देखा गया है कि पुलिस ढिंढोरा पीट कर मामला दर्ज करती है और जांच धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में पहुंच जाती। पुलिस यह तक साफ नहीं कर पाती कि आखिरकार मामला दर्ज क्यों किया गया। इसके क्या परिणाम निकले? कौन अभियुक्त है? कौन दोषी है? कौन पीड़ित है? नतीजा सिफर और मामला ठंडे बस्ते में। पुलिस जब भी बड़ा मामला दर्ज करती है, वह मीडिया में बहुत जोर-शोर से उछलता है। शुरू में पुलिस भी जांच पूरी होने का इंतजार करने का हवाला देती है। राज्य से लकेर देश स्तर तक मामला चर्चित हो जाता है। इसके बाद पुलिस मामले से कन्नी काटने लगती है। धीरे-धीरे समय के साथ मामला दब कर रह जाता है। होता यह है कि इसकी वजह से राज्य की छवि जरूर धूमिल हो जाती है। पुलिस की इस तरह की अपरिपक्व कार्रवाई को खंगालती आजाद सिपाही की खास रिपोर्ट।

    पुलिस की अपरिपक्व कार्रवाई की पटकथा आज से ठीक एक महीने पहले की है। 22 जुलाई को रांची के कोतवाली थाना में विधायकों की खरीद-फरोख्त के संबंध में एक मामला दर्ज हुआ। मामला दर्ज होने के बाद झारखंड में सियासी भूचाल आ गया। आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गये। सत्ता और विपक्ष आमने-सामने आ गया। यह होना भी था, क्योंकि यह मामला सरकार को अस्थिर करने और विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा था। मामले को कांग्रेस के विधायक अनूप उर्फ जयमंगल सिंह ने दर्ज कराया था। इसमें यह आरोप था कि भाजपा सत्ताधारी दल में शामिल विधायकों को तोड़ना चाहती है और सरकार को अस्थिर करना चाहती है। विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए महाराष्ट्र के मुंबई से कुछ लोग रांची पहुंचे हैं। खरीद-फरोख्त के लिए तोलमोल हो रहा है। पुलिस हरकत में आयी। राज्य में छापेमारी शुरू हुई। पुलिस ने 24 जुलाई की रात को रांची के एक होटल लिलेक पर छापा मारा। पुलिस का दावा है कि भाजपा से जुड़े जो भी लोग उसमें थे, सारे भाग निकले। उनमें से कोई नहीं पकड़ा गया। इस मामले में पुलिस ने जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें से एक अभिषेक कुमार दुबे रांची और दो निवारण प्रसाद महतो और अमित महतो बोकारो के रहनेवाले थे। कोई दुकान चला रहा था, तो कोई मामूली काम करता था। ये तीनों अभी भी जेल में हैं। शहर के तेजतर्रार डीएसपी प्रभात कुमार को इसकी जांच की जवाबदेही दी गयी, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला। पुलिस की टीम दिल्ली गयी। वहां से सीसीटीवी फुटेज जरूर मिले। उस फुटेज के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई के लिए एक कदम भी नहीं बढ़ पायी है। अभी तक पुलिस को कुछ भी हाथ नहीं लगा और ना ही कोई बड़ा नेता पकड़ा गया। लगता है, अब तो इस मामले को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया गया है। इस मामले में शुरूआत में कांग्रेस के दो विधायक इरफान अंसारी और उमाशंकर अकेला और एक निर्दलीय विधायक अमति यादव का नाम सामने आया। अभी तक पुलिस इनसे पूछताछ करने का साहस तक नहीं कर पायी है। अभी तक मात्र हुआ इतना ही है कि मामला राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित हुआ। खरीद-फरोख्त के मामले में झारखंड का एक बार फिर नाम बदनाम हुआ। कांग्रेस के विधायक कटघरे में आये। पार्टी की फजीहत हुई। अब मामले को धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में धकेला जा रहा है।

    इस मामले में अगर पुलिस की जांच आगे बढ़ायी गयी, तो सबसे पहले जिन तीन विधायकों पर उंगली उठी थी, उनसे पूछताछ होगी। गठबंधन की सरकार में शामिल कांग्रेस पर इसका असर होगा, इसलिए कांग्रेस नहीं चाहती है कि उसके विधायकों से पूछताछ हो। पुलिस के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई की स्थिति है। माना जा रहा है कि अब इसकी जांच नहीं होगी। लिहाजा पुलिस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रही है। पर इस कांड में पकड़े गये बेचारे तीन लोग जेल में सड़ रहे हैं। उनका क्या होगा? वह कब छूटेंगे? पुलिस आगे क्या करेगी? ये तमाम सवाल मुंह

    फाड़े खड़े हैं और एक एक दिन काटा जा रहा है।
    झारखंड पुलिस के पास ही पहले से 514 आदिवासी युवकों को फर्जी तरीके से सरेंडर करने का मामला है। बड़े अधिकारी इसमें शामिल हैं। चार साल से सिर्फ जांच हो रही है। इसके लिए कौन दोषी है? पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची, जबकि दोषी पुलिस अधिकारियों के बारे में पूरा राज्य जानता है। कौन-कौन आइपीएस और सीआरपीएफ के अधिकारी इसमें शामिल थे, सबको सब कुछ पता है। लेकिन यह कागजों में नहीं है। सिर्फ जांच के लिए टीम पर टीम गठित की जा रही है। मामले में करीब 25 करोड़ की अवैध वसूली नौकरी दिलाने के वाम पर की गयी थी। इसमें से अधिकांश आदिवासी युवकों ने अपने घर और जमीन बंधक रख कर पैसा सीआरपीएफ और पुलिस के अधिकारियों को दिया था। उनके सारे दस्तावेज भी मिल गये, लेकिन जांच करनेवाले पुलिस अधिकारी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, इससे पुलिस पर से भरोसा उठ रहा है। वर्ष 2014 का यह मामला अब तक बेनतीजा रहा। रांची में एक बड़ा मामला इंतजार अली का भी आया था। उसे एक ट्रेन से गिरफ्तार किया गया। इम्तियाज को बड़ा आतंकी बताया गया था। उसे जेल भेज दिया गया था। इसकी भी जांच हुई। जिस समय वह पकड़ा गया, उस समय भी पुलिस ने जम कर ढिंढोरा पीटा, लेकिन जब जांच हुई तो पूरा मामला उल्टा निकला। सब कुछ प्लांटेड था। न वह आतंकी था और ना ही उसके पास से विस्फोटक बरामद हुए थे। इसे तो पुलिस ने ही प्लांट किया था। उस समय भी यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका था।

    पिछले 20 साल में एक नहीं दर्जन भर इस तरह के मामले गिनाये जा सकते हैं। पुलिस के इस तरह के कारनामों की फेीरिश्त लंबी है। सबसे पहले तो इन मामलों की एक पूरी सूची बना कर आला अधिकारियों को साफ करना चाहिए। मामले का सही-सही खुलासा करना चाहिए। अगर गलती की है तो कबूल करनी चाहिए। साथ ही यह ध्यान देने की जरूरत है कि आखिर यह हो क्यों रहा है? क्या पुलिस किसी राजनीतिक दबाव में काम कर रही है? क्या पुलिस जनता की सेवा से हट कर पदक और प्रमोशन को ज्यादा महत्व दे रही है? पुलिस की कार्यशैली में जो कमी है, उसे दूर करने के लिए कदम उठाया जाना जरूरी है, जिससे पुलिस की छवि सुधरे। राज्य की बदनामी न हो।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleनारायण राणे ने कहा, शिवसेना को करारा जवाब देने में सक्षम
    Next Article एम्स देवघर के ओपीडी का हुआ उद्घाटन
    azad sipahi

      Related Posts

      ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब ऑपरेशन घुसपैठिया भगाओ

      June 4, 2025

      झारखंड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर रिजल्ट ने उठाये सवाल

      June 3, 2025

      अमित शाह की नीति ने तोड़ दी है नक्सलवाद की कमर

      June 1, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • लैंड स्कैम : अमित अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बेल
      • राज्यपाल ने पर्यावरण दिवस व गंगा दशहरा की दी शुभकामनाएं
      • देश में कोरोना के सक्रिय मामले बढ़कर हुए 4866, पिछले 24 घंटे में 7 लोगों को मौत
      • प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित प्रमुख नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं
      • सेमीकंडक्टर फैक्टरी के लिए बंगाल सरकार ने आवंटित की जमीन
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version