नई दिल्ली। चुनाव आयोग में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले की सुनवाई गुरुवार को पूरी हो गई। दोनों पक्षों ने अपनी लिखित बहस आयोग के समक्ष जमा कर दी है है। जिसके बाद अब सभी को फैसले का इंतजार है। चुनाव आयोग इस मामले में क्या फैसला सुनाता है, यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि आयोग के आदेश का झारखंड की राजनीति पर बड़ा असर पड़ने वाला है। जानकारी के मुताबिक आयोग किसी भी दिन अपना फैसला सुना सकता है। कानून के जानकारों के मुताबिक चुनाव आयोग अपने फैसले से राज्य के राज्यपाल को अवगत कराएगा, जिसके आधार पर राज्यपाल कार्रवाई करेंगे।

इससे पहले चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 अगस्त को सुनवाई की थी। निर्वाचन आयोग की तरफ से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अधिवक्ता से लिखित जवाब मांगा गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने निर्वाचन आयोग के समक्ष दो घंटे तक अपने मुवक्किल और हेमंत सोरेन की तरफ से बहस की थी। उन्होंने कहा था कि हेमंत सोरेन के नाम से रांची के अनगड़ा में आवंटित स्टोन माइंस का मामला लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के 9 ए के दायरे में नहीं आता है। इस पर शिकायतकर्ता पार्टी भाजपा की तरफ से पुष्ट दलीलें दी गयीं। भाजपा की तरफ से बहस में शामिल हुए अधिवक्ता ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का पर्याप्त आधार है। सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम से आवंटित खनन पट्टे की ही तरह कई अवैध खनन पट्टे राज्य में लोगों को दिये गये हैं।

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