रांची। झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को झारखंड में फायरमैन ड्राइवर पद से लीडिंग फायरमैन ड्राइवर और सब ऑफिसर पद पर प्रोन्नति के लिए हैवी वेहिकल ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई हुई।
मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि अब तक राज्य में कब और कहां-कहां भारी वाहन प्रशिक्षण संस्थान खुला है। हाई कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि वैसे फायरमैन जिन्हें लीडिंग फायरमैन ड्राइवर में प्रोन्नति दी गई है उनका ड्राइविंग लाइसेंस कहां से बना है,उसकी भी विस्तृत जानकारी दी जाए। इस मामले में हाई कोर्ट ने परिवहन विभाग के सचिव को भी प्रतिवादी बनाया है।
कपिल देव उरांव सहित अन्य ने झारखंड अग्निशमन सेवा के अराजपत्रित संवर्ग( नियुक्ति, प्रोन्नति एवं अन्य सेवा शर्त) नियमावली 2011 के कुछ प्रावधानों को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। प्रार्थी की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने फायरमैन और फायरमैन ड्राइवर के पद को मिलाकर फायरमैन ड्राइवर का पद बना दिया। उक्त नियमावली के अनुसार फायरमैन ड्राइवर से लीडिंग फायरमैन ड्राइवर, सब ऑफिसर में प्रोन्नति के लिए हेवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस को अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रार्थी का कहना है कि उक्त पदों पर प्रोन्नति के लिए हेवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाए। प्रार्थी का कहना है कि उनकी नियुक्ति फायरमैन की रूप में हुई थी। वैसे में उनके प्रोन्नति के लिए हेवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता अनुचित है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार और गौरव राज ने पैरवी की।
रांची में 2010 से बंद है हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनना
कोर्ट को यह भी बताया गया कि जिला परिवहन पदाधिकारी, रांची के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सात अक्टूबर 2015 को यह सूचना दी गई कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची में वर्ष 2010 से हैवी ड्राइविंग लाइसेंस बनना बंद है, क्योंकि राज्य में भारी वाहन प्रशिक्षण संस्थान नहीं है। कोर्ट ने पांच अप्रैल 2022 को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची द्वारा दी गई सूचना के आलोक में यह बताएं कि इस नियमावली के बनने के बाद कितने फायरमैन को प्रोन्नति दी गई और उसका संपूर्ण विवरण कोर्ट ने मांगा था।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह बताया था कि जिला परिवहन कार्यालय, रांची से दी गई सूचना केवल रांची जिला से संबंधित है,पूरे राज्य से नहीं। हैवी ड्राइविंग लाइसेंस सिर्फ धनबाद में बन रहा है। इस पर कोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया और पूछा कि भारी वाहन प्रशिक्षण संस्थान राज्य में कहां-कहां खुला है।