-पूर्व सीएमडी अभिजीत ने कंपनी को पहुंचाया करोड़ों का नुकसान
-सीबीआइ जांच में खुलासा, पांच अफसरों से की जायेगी पूछताछ
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। अपना अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचइसी) के कर्मियों को 17 महीने से वेतन नहीं मिला है, तो दूसरी तरफ इसके एक पूर्व सीएमडी ने कंपनी को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। यह बात सीबीआइ जांच में सामने आयी है। पूर्व सीएमडी अभिजीत घोष ने अपने कुछ चहेते अफसरों के साथ मिल कर कंपनी की परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। पद छोड़ने से पहले अभिजीत घोष ने 28 करोड़ रुपये की गड़बड़ी भी की। इसमें एचइसी के दिल्ली साइट आॅफिस के तत्कालीन अफसर नवीन कुमार ने अहम भूमिका निभायी। अफसरों की एक टीम ने मिल कर 28 करोड़ का घोटाला कर लिया। अब सीबीआइ पांच अफसरों से इस बाबत पूछताछ करेगी।
सीबीआइ की विशेष टीम एचइसी मुख्यालय आयी थी
जून 2023 में सीबीआइ की विशेष टीम एचइसी मुख्यालय आयी थी और कई अफसरों से पूछताछ की थी। टीम अभिजीत घोष के कार्यकाल में हुए राशि और जमीन आवंटन आदि से संबंधित संचिकाओं को साथ ले गयी थी। इन संचिकाओं की जांच में ही करोड़ों की गड़बड़ी की बात सामने आयी है।
कैसे हुई गड़बड़ी
सीबीआइ जांच में पाया गया कि एचइसी के कुछ अफसरों ने सामान्य इंजीनयरिंग सुविधा केंद्र खोलने के नाम पर आवंटित 28 करोड़ का घोटाला कर लिया। अफसरों ने सीइएफसी प्रथम फाउंडेशन के तत्वावधान में एचइसी द्वारा एक सामान्य इंजीनियरिंग सुविधा केंद्र खोला। पहले यह केंद्र हटिया के निफ्ट में खोले जाने की बात तय हुई। बाद में इसे एचइसी मुख्यालय भवन के चौथे तल्ले पर शिफ्ट कर दिया गया। केंद्र की स्थापना के लिए भारी उद्योग मंत्रालय और सार्वजनिक उद्यम विभाग से 16 करोड़ की मदद भी ली गयी। फिर तत्कालीन सीएमडी ने और आठ करोड़ रुपये दिये। अभिजीत घोष ने रिटायरमेंट के ठीक पहले 23 नवंबर 2017 को आपाधापी में केंद्र का उद्घाटन कर दिया। केंद्र के सुंदरीकरण के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिये। जेनरेटर और दर्जनभर पानी टंकी आदि की खरीदारी भी हुई। उनके रिटायरमेंट के कुछ दिन बाद केंद्र के जिम्मेवार अधिकारी भी गायब हो गये।
जमीन आवंटन के खेल में भी अभिजीत घोष आरोपी
एचइसी ने निजी कंपनियों को अपने नौ भवन और जमीन को 2016 से 2018 के बीच लीज पर दिया। उस समय अभिजीत घोष सीएमडी थे। इसमें भी करोड़ों का वारा-न्यारा हुआ। यह शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयोग को मिली थी। एचइसी के पूर्व सीवीओ दीपक कुमार ने भी इसकी जानकारी दी थी। लीज पर दिये गये भवनों में अतिरिक्त निर्माण नहीं करना था, मगर ज्यादातर कंपनियों ने अतिरिक्त निर्माण किया। तत्कालीन सीएमडी और उनके चहेते अफसरों को इसकी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।