रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम और छठवें दिन शुक्रवार को विधानसभा में गुरुवार को अपने व्यवहार के लिए विधायक शशिभूषण मेहता ने भी अपने शब्द वापस लिए। आलमगीर आलम ने सदन में मांग रखी, जिसमें कहा कि विधायक इरफान अंसारी के बयान के लिए संसदीय कार्य मंत्री ने भी माफी मांगी थी। आज भाजपा विधायक को भी अपने उस व्यवहार के लिए माफी मांगनी चाहिए, जिसमें वे वेल से होते हुए विधायक तक पहुंच गये थे।

सदन की शुरुआत के साथ ही भाजपा ने अपना विरोध दर्ज कराया और विधेयक वापस लेने की मांग की। सभा के अध्यक्ष ने विपक्ष से अपील सदन चलाने और चर्चा में शामिल होने की अपील की। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर नारेबाजी करता रहा। हंगामे को देखते हुए अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कल भी सदन में विधायकों ने प्रतियोगी परीक्षा विधेयक को काला कानून बताया था। उन्होंने कहा कि भाजपा इसे काला कानून मानती है। इस कानून से कदाचार रुकेगा नहीं, बल्कि और बढ़ेगा। परीक्षा में कदाचार छात्र नहीं जेपीएससी और जेएससीसी कर रही है। नौकरी के लिए आवेदन निकालने के बाद यह लोग नियम बदलते हैं।

बाबूलाल ने कहा कि भ्रष्टाचार में ये कैसे लिप्त है इसकी जानकारी आप सभी को हो। छात्रों न इसका विरोध किया सरकार नहीं मानी लेकिन बाद में पुख्ता सबूत मिले तो स्वीकार करना पड़ा। आज तक ओएमआर सीट जारी नहीं किया गया है। अभी जो जूनियर इंजीनियर की परीक्षा हुई उसमें भी गड़बड़ी हुई। इस वक्त जो कानून बना है उसमें कंडिका 11(2) में जो कहा गया है कि परीक्षा के संबंध में सवाल खड़े करने वाले छात्र और मीडिया संस्थान पर भी कार्रवाई की बात कही है।

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