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    Home»देश»अब सीमाओं पर पैराशूट से राशन और लड़ाकू हथियार पहुंचाने की तैयारी
    देश

    अब सीमाओं पर पैराशूट से राशन और लड़ाकू हथियार पहुंचाने की तैयारी

    adminBy adminAugust 19, 2023No Comments3 Mins Read
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    – कामयाब रहा वायु सेना का कार्गो विमान से स्वदेशी हेवी ड्रॉप सिस्टम का परीक्षण
    – एडीआरडीई ने परिवहन विमानों के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम के कई वेरिएंट तैयार किए

    नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना अब सीमाओं पर तैनात जवानों को पैराशूट के जरिए राशन और लड़ाकू हथियार पहुंचाने की तैयारी कर रही है। सैन्य रसद क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए वायु सेना ने शनिवार को कार्गो विमान से स्वदेशी हेवी ड्रॉप सिस्टम (एचडीएस) का परीक्षण किया, जो पूरी तरह सफल रहा।

    रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार इस हेवी ड्रॉप सिस्टम को एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने डिजाइन और विकसित किया है। यह एक विशेष सैन्य तकनीक है, जिसका उपयोग विभिन्न सैन्य आपूर्ति, उपकरण और वाहनों की सटीक पैरा-ड्रॉपिंग के लिए किया जाता है। इसे विकसित करने में उन पैराड्रॉप तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसे कुछ चुनिंदा देशों ने आजमाया है। एडीआरडीई ने एएन-32, आईएल-76 और सी-17 जैसे परिवहन विमानों के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम के विभिन्न वेरिएंट तैयार किए हैं, जो क्रमशः तीन टन, सात टन और 16 टन सैन्य कार्गो के अलग-अलग वजन वर्गों को पूरा करते हैं।

    अधिकारियों के अनुसार तीन टन और सात टन क्षमता वाले सिस्टम को भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के लिए किया गया है। आईएल-76 विमान के लिए हेवी ड्रॉप सिस्टम-पी7 में एक प्लेटफॉर्म और पैराशूट असेंबली शामिल है। इस पैराशूट प्रणाली में पांच प्राथमिक कैनोपी, पांच ब्रेक शूट, दो सहायक शूट और एक एक्सट्रैक्टर पैराशूट शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म एल्यूमीनियम और स्टील के धातुओं से निर्मित एक मजबूत धातु संरचना है, जिसका वजन लगभग 1,110 किलोग्राम है। लगभग 500 किलोग्राम वजनी पैराशूट प्रणाली भारी माल की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करती है।

    डीआरडीओ के अनुसार यह सिस्टम 7 हजार किलो रसद लेकर 260-400 किलोमीटर प्रति घंटे की ड्रॉप गति पर काम करता है। आयुध फैक्टरी के पैराशूट का उपयोग करने वाली यह प्रणाली मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुरूप है। हेवी ड्रॉप सिस्टम-16टी को आईएल-76 हेवी लिफ्ट विमान के लिए बनाया गया है। यह 16 टन तक वजन वाले सैन्य कार्गो को सुरक्षित और सटीक पैराड्रॉप करने में सक्षम बनाता है। इसमें बीएमपी वाहन, आपूर्ति और गोला-बारूद शामिल हैं। इस स्वदेशी प्रणाली ने पिछले परीक्षणों में भी सभी इलाकों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। यह मैदानी इलाकों, रेगिस्तानों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उतर सकता है। यह प्रणाली अधिकतम 15 हजार किलोग्राम का पेलोड रख सकती है।

    इससे पहले एडीआरडीई ने खुद भारत के 75वें स्वतंत्रता समारोह के हिस्से के रूप में 500 किलोग्राम क्षमता (सीएडीएस-500) की नियंत्रित हवाई डिलीवरी प्रणाली का प्रदर्शन किया था। यह प्रणाली पूर्व निर्धारित स्थानों पर 500 किलोग्राम तक के पेलोड की सटीक डिलीवरी के लिए राम एयर पैराशूट (आरएपी) का उपयोग करती है। जीपीएस का उपयोग करते हुए सीएडीएस-500 ने स्वायत्त रूप से अपने उड़ान पथ को संचालित किया और मालपुरा जोन में सिस्टम को 5000 मीटर की ऊंचाई पर एएन-32 विमान से पैरा-ड्रॉप किया गया था। इसे ट्रैक करने के बाद भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के ग्यारह पैराट्रूपर्स एक साथ उतरे थे।

    डीआरडीओ ने 2020 में चीनी सैनिकों के साथ गलवान संघर्ष के ठीक बाद हेवी ड्रॉप सिस्टम पी-7 के उन्नत संस्करण का प्रदर्शन किया था। इस सत्यापन परीक्षण में दो सिस्टम आईएल-76 विमान से 600 मीटर की ऊंचाई और 280 किमी प्रति घंटे की गति से गिराए गए थे। पांच बड़े पैराशूट का उपयोग करके कार्गो को सुरक्षित रूप से उतारा गया था। इस सिस्टम से सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों तक भी लड़ाकू हथियारों की आपूर्ति करके सशस्त्र बलों की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

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