-विभाग की लापरवाही से राजस्व का भारी नुकसान
-पथ निर्माण में संवेदकों को 5.29 करोड़ का अधिक भुगतान
रांची। विधानसभा के पटल पर शुक्रवार को एजी की रिपोर्ट पेश किया गया। इसमें करीब 2000 करोड़ का हिसाब-किताब नहीं मिला है। इस पर एजी की रिपोर्ट में आपत्ति दर्ज करायी गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड ने पथ निर्माण विभाग पर आरोप है कि कार्यपालक अभियंताओं ने अनुबंधों में प्रावधान के बावजूद मूल समायोजन की गणना ठीक से नहीं की। जिसके परिणाम स्वरुप पांच प्रमंडलों में साथ सड़क कार्यों के संवेदकों को 5 करोड़ 29 लाख रुपये अधिक भुगतान हुआ।

वहीं, महालेखागार ने ऊर्जा विभाग और कंपनी द्वारा अनियमित रूप से बिना मीटर वाले उपभोक्ताओं की श्रेणी को दोषपूर्ण मीटर वाले उपभोक्ताओं में बदलकर अतिरिक्त सब्सिडी का दावा किया और जेसीआरसी विद्युत प्राय संहिता में दिये गये दोषपूर्ण मीटर से संबंधित बिलिंग के प्रावधानों को बिलिंग सॉफ्टवेयर में मैप नहीं किया। महालेखागार द्वारा डीएमडीटी के दुरुपयोग पर भी कई टिप्पणियां की गयी हैं। यह रिपोर्ट 31 मार्च 2021, 31 मार्च 2022, 31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्त वर्ष की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पथ निर्माण विभाग की विफलता के कारण आठ कार्यों में 37.29 करोड़ रुपये के मूल्य समायोजन में वृद्धि हुई थी। वहीं 11 पथ में मूल्य की गणना में गलत मानदंडों के उपयोग के कारण संवेदकों को 3.98 करोड़ का अधिक भुगतान किया गया है।

एजी अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विद्युत नियमाक आयोग के अध्यक्ष और सदस्य का पद जून 2020 से सितंबर 2022 तक रिक्त रहा। इसके कारण वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए बिजली टैरिफ की मंजूरी नहीं मिल सकी। कंपनी 514.08 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व की वसूली से वंचित रह गयी। कंपनी बिजली चोरी के मामलों में जुर्माने के आकलन में विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों और जेएसइआरसी के प्रावधानों का पालन करने में विफल रही है, जिसके कारण 5.74 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।

पथ निर्माण विभाग-विभागीय निविदा समिति ने सबसे कम बोली में काम अधिक कीमत पर दिया, जिससे सरकार पर 2.62 करोड़ का अतिरिक्त लागत का बोझ पड़ा

शहरी विकास-आवास विभाग, पेयजल स्वच्छता: कार्यपालक अभियंता पेयजल स्वच्छता प्रमंडल चाइबासा ने जलापूर्ति परियोजना से संबंधित अनुबंध के विखंडन के बाद बकाया राशि का प्रमाण पत्र तीन वर्ष से अधिक समय से 4.42 करोड़ के सरकारी बकाया राशि की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस की कार्यवाही शुरू नहीं की गयी।

स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग- महात्मा गांधी स्मारक चिकित्सा कॉलेज जमशेदपुर ने अनुबंध के आधार पर लोगों को रखा। कार्यादेश से अधिक कर्मियों के भुगतान की अनुमति के कारण अभिकर्ताओं को कम से कम 2.67 करोड़ का अधिक भुगतान करना पड़ा।
ऊर्जा विभाग- कार्यालय आधारित ताप विद्युत संयंत्र संचालन शुरू होने के दस साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विभाग ने पर्यावरण प्रबंधन कोष की स्थापना नहीं की। नतीजतन कंपनी से 82.40 करोड़ की वसूली करने में विफल रहा।
कोयला आपूर्ति समझौते में प्रावधान के बावजूद पीआइ के प्रावधान को संशोधित करने की कार्रवाई नहीं की गयी, इसके कारण नौ करोड़ का नुकसान हुआ।

परिवहन विभाग:4486 परिवहन वाहनों के प्रमादी मालिकों से वसूले जाने योग्य 80.12 करोड़ का कर और जुर्माना नहीं किया गया।
1359 वाहनों के पंजीकरण प्रमाण पत्र की वैद्यता खत्म होने के बाद भी नवीनीकरण नहीं किया गया। इस कारण 6.27 करोड़ का रजिस्ट्रेशन शुल्क, निरीक्षक शुल्क और हरित कर तय नहीं हुआ।

 

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