रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से खनन लीज आवंटन मामले में भारत चुनाव आयोग के मंतव्य की जानकारी नहीं देने और दोबारा चुनाव आयोग से मंतव्य मांगे जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई। मामले में प्रार्थी हेमंत सोरेन की ओर से अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। कोर्ट ने मामले में प्रार्थी हेमंत सोरेन को दो सप्ताह में याचिका की त्रुटि दूर करने का निर्देश दिया है। दरअसल, हेमंत सोरेन की ओर से दाखिल याचिका में चुनाव आयोग के मंतव्य पर तत्कालीन राज्यपाल के निर्णय लेने पर रोक लगाने की मांग की गयी है।

मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में कहा है कि खदान लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग ने अपना मंतव्य राज्यपाल को भेजा दिया है, लेकिन राज्यपाल ने इस पर निर्णय नहीं लिया है। हेमंत सोरेन का कहना है कि दोबारा मंतव्य लेने का अधिकार राज्यपाल को नहीं है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। यदि चुनाव आयोग दोबारा मंतव्य देता है, तो मंतव्य देने के पहले चुनाव आयोग को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए।

बिना उनका पक्ष सुने चुनाव आयोग को दोबारा मंतव्य नहीं देने का निर्देश दिया जाये। यह भी कहा है कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उनसे राज्यपाल ने दोबारा मंतव्य नहीं मांगा है।

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