रांची। मनरेगा कर्मियों की हड़ताल और सरकार की ओर से हड़ताल तोड़ने के लिए ठोस पहल नहीं होने का खामियाजा मनरेगा मजदूर भुगत रहे हैं। वहीं, 22 जुलाई से मनरेगा कर्मियों की हड़ताल पर चले जाने के बाद मनरेगा का सारा कामकाज तो पहले ही ठप हो चुका है। अब मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी भी एक सप्ताह से छुट्टी पर चली गयी हैं। अभी तक न तो कार्मिक विभाग ने मनरेगा आयुक्त के पद पर किसी अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिया है और न ही ग्रामीण विकास विभाग ही अपने मातहत किसी पदाधिकारी को कार्यभार संभालने को कहा है। सचिव ही कुछ काम देख रहे हैं। ऐसे में मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से मजदूर को ज्यादा परेशानी हो रही है। वहीं, केंद्र प्रायोजित मनरेगा योजना के तहत संचालित बिरसा हरित ग्राम योजना, खेल मैदान निर्माण सहित कई काम फंस गये हैं।
4 लाख के बजाये 72 हजार को ही काम
प्रत्येक मजदूर को 100 दिन का काम देने की गारंटी है। उन्हें मजदूरी का भुगतान किया जाता है। काम मांगने के बावजूद अगर काम नहीं दिया गया, तो बेरोजगारी भत्ता का भी प्रावधान है। मनरेगा कर्मियों की हड़ताल की वजह से राज्यभर से आंकड़े सामने आ रहे हैं, उसमें काम उपलब्ध कराने में भारी गिरावट दर्ज की गयी है। पहले प्रतिदिन पांच लाख को काम मिलता था। अब महज 72 से 73 हजार मजदूरों को ही काम उपलब्ध कराया जा पा रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में मजदूर बिना काम के बैठे हैं। रोजगार सेवकों की हड़ताल की वजह से वे काम नहीं मांग पा रहे हैं।
सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल पर
मनरेगा कर्मी सेवा नियमितीकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालिन हड़ताल पर हैं। मनरेगा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जॉन बागे के नेतृत्व में पूरे राज्यभर के पांच हजार से अधिक कर्मी हड़ताल पर हैं। मांगों को वे विभिन्न माध्यमों से सरकार के समक्ष रख रहे हैं। हालांकि, अभी तक न तो विभागीय मंत्री डॉ इरफान अंसारी के साथ कोई वार्ता हुई है और न ही ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा आयुक्त से बात हो पायी है। हड़ताल में बीपीओ, लेखा पदाधिकारी, कंप्यूटर आॅपरेटर, रोजगार सेवक हैं।