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    Home»Jharkhand Top News»झारखंड में बालू माफिया का राज: पुलिस, खनन विभाग से लेकर गैंगस्टर-उग्रवादी हो रहे मालामाल
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    झारखंड में बालू माफिया का राज: पुलिस, खनन विभाग से लेकर गैंगस्टर-उग्रवादी हो रहे मालामाल

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 10, 2024Updated:August 10, 2024No Comments6 Mins Read
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    रांची। पूरे प्रदेश में 10 जून से ही बालू के उत्खनन को लेकर एनजीटी ने रोक लगा रखी है लेकिन झारखंड की कहानी कुछ अलग है। बालू माफिया एनजीटी के रोक के पहले हो या बाद, बिना किसी रोक-टोक के तस्करी के माध्यम से करोड़ों की उगाही कर रहे हैं। बालू माफिया के नोटों से पुलिस, खनन विभाग के अफसर और गैंगस्टर से लेकर अपराधी तक सब मालामाल हो रहे हैं।

    बालू घाटों की नीलामी अधूरी
    झारखंड में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया अधूरी होने का फायदा उठा कर तस्कर बालू का उठाव कर रहे हैं और ऊंची कीमत पर बाजार में बेच रहे हैं। झारखंड में वर्ष 2019 में बालू घाटों का टेंडर किया गया था लेकिन वह आज भी फाइनल नहीं हो पाया है। दरअसल, राज्य सरकार के द्वारा साल 2018 में ही फैसला लिया गया था। जिसके अनुसार कैटगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को करना है, इसके बाद से ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि झारखंड में 608 बालू घाट चिन्हित हैं। वर्तमान में चिन्हित 608 बालू घाटों के अलावा तस्करों के द्वारा निर्मित दर्जनों घाटों से भी बालू की तस्करी की जा रही है।

    बालू घाटों की नीलामी न होने के कारण बालू माफिया झारखंड के हर जिले में अपना सिंडिकेट बनाकर बालू का उठाव कर हर महीने सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं। झारखंड के सभी जिलों में बालू तस्करों का सिंडिकेट इतना मजबूत है कि वे बड़े आराम से एनजीटी के रोक के बावजूद बालू का उठाव कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इस सिंडिकेट में पुलिस, खनन अफसर, गैंगस्टर से लेकर नक्सली और लोकल अपराधी भी बालू माफिया के साथ मिलकर अपनी जेबें भर रहे हैं।

    जिलों में कैसे हो रहा अवैध खनन
    झारखंड के सभी जिलों की बात करें तो लगभग हर जिले में बालू का अवैध कारोबार जारी है। झारखंड के साहिबगंज, रामगढ़, कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, खूंटी, रांची और दुमका में बालू का अवैध खनन और उठाव धड़ल्ले से जारी है। इन जिलों में बालू माफिया बहुत ज्यादा मजबूत हैं, उनका सिंडिकेट भी तगड़ा है।

    रांची जिला में 29 बालूघाट हैं लेकिन इनमें से एक का भी टेंडर नहीं हो पाया है। टेंडर नहीं होने से रात में नदी किनारे माफिया का राज कायम हो जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केवल रांची से ही हर रात 500 ट्रक से ज्यादा बालू का उठाव किया जाता है। रांची के खलारी, बुढ़मू, बुंडू सहित आधा दर्जन इलाकों में बालू माफिया का खुला राज चलता है।

    खूंटी, झारखंड का खूंटी जिला भी बालू तस्करी के लिए कुख्यात है। खूंटी के कारो और कांची नदी से सबसे ज्यादा बालू की अवैध निकासी की जाती है।

    पूर्वी सिंहभूम के स्वर्णरेखा नदी के पास वाले इलाको में बालू का अवैध उठाव होता है। जिनमें बारीडीह, उलीडीह, मानगो, बडशोल, गुड़ाबांधा और बंगाल से पटमदा में जमकर बालू की तस्करी की जा रही है।

    चतरा के गढ़केदाली, लोहरसिग्ना और घोरीघाट की बंदोबस्ती हुई है। लेकिन जिला के हंटरगंज प्रखंड के निलाजन नदी से बालू की तस्करी सबसे ज्यादा की जाती है।

    पलामू, झारखंड के पलामू में एक भी बालू घाट की बंदोबस्ती नहीं है। इसके बावजूद यहां कोयल, सोन, अमानत, औरंगा नदियों से जबरदस्त बालू की तस्करी की जा रही है।

    इन कुछ जिलों के अलावा बाकी जिलों का भी हाल बेहाल है। गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग और दुमका में भी बालू माफिया बेहद एक्टिव हैं। यहां नदी घाटों से बालू की तस्करी जमकर की जा रही है।

    हर महीने 300 करोड़ का कारोबार
    एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक केवल झारखंड में ही 300 करोड़ रुपए के बालू का अवैध कारोबार प्रतिमाह हो रहा है। दूसरी और झारखंड के खनन विभाग को वित्तीय वर्ष 2022-23 में बालू से केवल 199.70 लाख रुपए ही राजस्व के रूप में मिले हैं।

    बालू माफिया सिंडिकेट में पुलिस, अपराधी और उग्रवादी भी शामिल
    झारखंड में बालू माफिया योजनाबद्ध तरीके से अपना काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पुलिस के अफसर, खनन विभाग के अफसर सहित अपराधी, उग्रवादी और लोकल दबंग लोगों को भी टीम में रखकर काम किया जाता है। झारखंड के बालू घाटों से होने वाली तस्करी में नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, उग्रवादी संगठन पीएलएफआई, जेजेएमपी और टीसीपीसी को भी हर महीने पैसे मिलते हैं। वहीं झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू, अमन श्रीवास्तव और अखिलेश सिंह को भी बालू की काली कमाई का हिस्सा मिलता है।

    जो ईमानदार रहा, उस पर हुआ हमला
    झारखंड में बालू तस्करों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले अफसर और पुलिस जवानों पर वह हमला करने से भी नहीं चूकते हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पाते हैं कि प्रदेश के हर जिले में खनन विभाग की टीम या फिर पुलिस पार्टी पर हमला किया गया है। इतना ही नहीं सीओ से लेकर एसडीएम भी बालू माफिया से सुरक्षित नजर नहीं आ रहे हैं।

    कब-कब हुआ हमला
    7 अगस्त 2024- रांची के बुढ़मू में बालू तस्करी के वर्चस्व को लेकर पांच वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इस मामले की जांच के बाद बुढ़मू थानेदार सहित दो को सस्पेंड कर दिया गया।

    22 जून 2024- देवघर के जसीडीह में पुलिस पर हमला किया गया।

    8 जून 2023- बेखौफ बालू माफिया ने एक ही दिन गुमला और गढ़वा में खनन विभाग के अफसरों मारने की कोशिश की।

    जून 2024- जून महीने में रांची डीएमओ को हाइवा से कुचलकर मारने की कोशिश की गई।

    29 मार्च 2024- देवघर के सारवां में तस्करों ने पुलिस बल पर हमला कर दिया। इस घटना में कई पुलिस वाले घायल हुए थे।

    6 फरवरी 2023- बालू तस्करों ने जांच करने पहुंचे रांची के सोनाहातू के सीओ को हाइवा से कुचलने की कोशिश की।

    04 जून 2022- धनबाद के बराकर नदी पर बालू तस्करी रोकने गए एसडीएम प्रेम तिवारी को बालू तस्करों बंधक बना लिया था

    04 नवंबर 2022- धनबाद के बरवड्डा गोविंदपुर सीओ के साथ तस्करों ने मारपीट की।

    क्या कहती है पुलिस
    बालू माफिया के बेखौफ होने की सूचना पर झारखंड पुलिस मुख्यालय भी अब काफी गंभीर हो चुका है। सबसे पहले तो मुख्यालय के द्वारा वैसे सभी पुलिस अफसरों को स्पष्ट चेतावनी दे दी गई है कि अगर वे बालू माफिया के सिंडिकेट में शामिल पाए गए तो उन्हें बक्शा नहीं जाएगा। राज्य पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान ने बालू माफिया की मदद करने वाले पुलिसकर्मियों को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। वहीं पुलिस मुख्यालय के दौरान निर्देश दिया गया है कि वह हर हाल में किसी भी तरह का अवैध खनन रोक माफिया पर कार्रवाई करें, उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाकर उनके वाहनों को जब्त करें।

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