विशेष
भारत के लिए कूटनीतिक परीक्षा का समय है पाकिस्तानी जनरल की धमकी
ट्रंप के टैरिफ वॉर के प्रहारों के बीच देश को महफूज करने में जुटे प्रधानमंत्री
भारत को इस तरह की धमकी का मुंहतोड़ जवाब देने का यह है अनुकूल समय
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में बुरी तरह मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के बड़बोले सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने एक बार फिर भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है। अमेरिका में पाकिस्तानी प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए मुनीर ने न केवल भारत को परमाणु हमले की धमकी दी है, बल्कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के सीएमडी मुकेश अंबानी को मजहबी लहजे में धमकी दी है। पाकिस्तानी फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपने भाषण में कहा कि एक ट्वीट करवाया था, जिसमें सूरह फील और मुकेश अंबानी की तस्वीर थी, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अगली बार पाकिस्तान क्या करेगा। मुनीर ने धमकी भरे लहजे में कहा, हम भारत के पूर्व से शुरूआत करेंगे, जहां उनके सबसे कीमती संसाधन हैं, और फिर पश्चिम की ओर बढ़ेंगे। आसिम मुनीर यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने परमाणु हथियारों की हेकड़ी दिखाते हुए धमकी दी कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर कोई बांध बनाया, तो उसे मिसाइलें मारकर गिरा देंगे। मुनीर ने कहा, हम इंतजार करेंगे कि भारत बांध बनाये और फिर उसे 10 मिसाइलों से खत्म कर देंगे। सिंधु नदी भारत की खानदानी जायदाद नहीं है और हमारे पास मिसाइलों की कमी नहीं है। मुनीर के इस बयान पर भारत सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘परमाणु हथियारों से लैस एक गैर-जिम्मेदार देश’ की मानसिकता करार दिया है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने मुनीर के बयान को बेहद गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए चेतावनी दी कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार गैर-राज्य तत्वों के हाथ में जाने का वास्तविक खतरा है। यह बयान पाकिस्तान में लोकतंत्र की अनुपस्थिति का उदाहरण है, जहां असल में सत्ता सेना के हाथ में है। क्या है मुनीर की धमकी का मतलब और भारत कैसे इस तरह की धमकियों से निबटने में लगा है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मुंह की खाने के बाद अब अगर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका की धरती से भारत को धमकी दे रहे हैं, तो इसे हास्यास्पद नहीं, तो क्या कहा जाये? यह सही है कि काफी अरसे के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान की ओर बांहें पसारी हैं, लेकिन इसका यह अर्थ तो नहीं कि मुनीर आसमान में उड़ने लगें।
क्या कहा जनरल मुनीर ने
फ्लोरिडा में पाकिस्तानी प्रवासियों को संबोधित करते हुए कथित तौर पर जब वह कहते हैं कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाया, तो पाकिस्तान उसे मिसाइलों से उड़ा देगा, या फिर यह कि अगर पाकिस्तान को लगेगा कि वह डूब रहा है, तो वह आधी दुनिया को अपने साथ ले जायेगा, तो इसका क्या अर्थ निकाला जाये। दरअसल मुनीर ने एक बार फिर वही काम किया है, जिसमें वह माहिर हैं। वह एक विफल इस्लामी गणराज्य के सर्वोच्च सैन्य अधिकारी के रूप में अपनी स्थिति को सुरक्षित करने के लिए भारत के प्रति घृणा से भरे बयानों का सहारा ले रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि ऐसा करते हुए वह खुद भारत की तुलना मर्सिडीज बेंज से और पाकिस्तान की तुलना कचरे के ट्रक से करके परोक्ष रूप से भारत की तारीफ ही कर रहे हैं।
अमेरिका की चुप्पी
गीदड़भभकियां देना वैसे तो पाकिस्तान की फितरत है, लेकिन दो महीने में अपनी दूसरी अमेरिकी यात्रा पर अमेरिका की धरती से मुनीर की धमकियों के निहितार्थ स्पष्ट हैं। खासकर तब, जब अमेरिका-पाकिस्तान के बीच संबंध मधुर हो रहे हैं, वाशिंगटन इस्लामाबाद को एक ‘अभूतपूर्व साझेदार’ बता रहा है और ट्रंप सरकार पाकिस्तान के नगण्य ऊर्जा भंडार का दोहन करने पर विचार कर रही है। वह भारत को साफ संदेश देना चाहते हैं कि अब अमेरिका का हाथ उनके सिर पर है। एक गैर-जिम्मेदार राष्ट्र के सैन्य प्रमुख होने के नाते उनका यह भूलना चौंकाता नहीं कि उनकी यह धमकी उस दिन आयी, जब दुनिया 1945 में नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराये जाने की 80वीं वर्षगांठ मना रही थी। ऐसे में पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए भारत की यह चिंता निर्मूल नहीं है कि वहां मानवता का नाश करने वाले इन हथियारों के आतंकियों तक पहुंचने की पूरी आशंका है।
भारत का मुंहतोड़ जवाब
हालांकि पाकिस्तान को दिये गये मुंहतोड़ जवाब में भारत ने अमेरिका को मित्र देश ही कहा है, इसके बावजूद पिछले कुछ महीनों से अमेरिका ने जिस तरह का दोहरा रवैया दिखाया है, उससे उसके आतंकवाद के खिलाफ रुख की विश्वसनीयता पर तो आघात लगा ही है, पाकिस्तान में आतंकवाद के नये सिरे से उभरने की आशंका भी पैदा हुई है।
बदल रहा है दक्षिण एशिया का सामरिक समीकरण
जनरल मुनीर का बयान बताता है कि दक्षिण एशिया में सामरिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। एक ओर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल असीम मुनीर के ताजा बयान ने भारत के पूर्वी मोर्चे पर संभावित खतरे का संकेत दिया है, तो दूसरी ओर भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आने वाले युद्ध को केवल सैनिकों का नहीं, बल्कि पूरे देश का युद्ध बताया है। दोनों बयान यह स्पष्ट कर रहे हैं अगला टकराव पारंपरिक सीमाओं से परे होगा, यह सैन्य शक्ति, तकनीक, सूचना युद्ध और जन-भागीदारी का सम्मिलित परीक्षण होगा।
वैश्विक शांति के लिए गंभीर संकेत
देखा जाये तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर का अमेरिका की धरती से भारत को सीधी परमाणु धमकी देना केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी गंभीर संकेत है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को भारत-पाकिस्तान के बीच शांति दूत के रूप में प्रस्तुत कर नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नैतिक आधार तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। मुनीर ने न केवल ‘यदि हमारे अस्तित्व पर खतरा हुआ, तो हम आधी दुनिया को ले डूबेंगे’ जैसी उत्तेजक भाषा का प्रयोग किया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी जिम्मेदार परमाणु शक्ति की तरह व्यवहार करने को तैयार नहीं है। ऐसे में ट्रंप के ‘शांति दूत’ होने का दावा हास्यास्पद प्रतीत होता है, क्योंकि उनके देश में खड़े होकर ही पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य नेता ने परमाणु युद्ध की धमकी दी।
धमकी के पीछे गहरी आर्थिक मंशा
इसके अलावा असीम मुनीर का अमेरिका में खड़े होकर भारत को परमाणु धमकी देना केवल सैन्य या कूटनीतिक बयान नहीं, बल्कि इसके पीछे एक गहरी आर्थिक मंशा भी झलकती है। पाकिस्तान की यह पुरानी रणनीति रही है कि जब भी उसकी आर्थिक हालत चरमरा जाती है, वह भारत के साथ तनाव बढ़ाकर और परमाणु युद्ध की आशंका पैदा करके वैश्विक वित्तीय संस्थाओं और दाता देशों पर दबाव बनाता है। इस बार भी यही पैटर्न दिखाई देता है—अंतरराष्ट्रीय मंच पर परमाणु धमकी देकर पाकिस्तान ने अप्रत्यक्ष रूप से विश्व बैंक, आइएमएफ और अन्य वित्तीय एजेंसियों को यह संदेश दिया कि अगर उसके भुगतान रोके गये, तो दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। यह ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेल’ की रणनीति पाकिस्तान दशकों से अपनाता आ रहा है और कई बार उसे आपातकालीन वित्तीय पैकेज भी इसी दबाव के चलते मिल चुके हैं।
बहरहाल मुनीर के बयानों और जनरल द्विवेदी की चेतावनी में एक साझा संदेश छिपा है— अगला संघर्ष बहु-आयामी होगा। यह पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों से लेकर सूचना और साइबर स्पेस तक फैला होगा। भारत के लिए यह समय केवल सैन्य तैयारी का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकजुटता, तकनीकी नवाचार और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को एक साथ साधने का है, क्योंकि इस बार खतरा न सीमा जानता है, न पारंपरिक युद्ध के नियम।