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अनंत सिंह और आनंद मोहन की नीतीश से मुलाकात ने दिया संकेत
महागठबंधन और एनडीए में बाहुबलियों को लेकर नहीं है कोई फर्क
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ानेवाले बिहार में अभी विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। एनडीए हो या महागठबंधन, या फिर नीतीश कुमार हों या तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी हों या जीतन राम मांझी या चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा, सबकी गोटी सेट होने लगी है। इस बीच बिहार के दो चर्चित बाहुबलियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है और इससे राजनीतिक माहौल में एक अजीब सी सनसनी कायम हो गयी है। पिछले दो दिन में अनंत सिंह और आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है। अनंत सिंह अभी जेल से बाहर आये हैं और मोकामा से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं। नीतीश से उनकी मुलाकात के अगले ही दिन आनंद मोहन ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इन दोनों की सीएम से मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं। मुलाकात के बाद अब यह संकेत पुख्ता हो गये हैं कि बिहार के चुनावी मैदान में इस बार बाहुबलियों का जलवा खूब देखने को मिलेगा, जैसा कि 90 के दशक में दुनिया देख चुकी है। इस बार खास बात यह है कि बाहुबलियों के प्रति नजरिये में सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में कोई खास अंतर नहीं दिख रहा है। दोनों ही गठबंधन बाहुबलियों को चुनाव मैदान में उतारने से परहेज करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। अनंत सिंह और आनंद मोहन सिंह की नीतीश से मुलाकात के क्या हैं सियासी मायने और बिहार चुनाव पर इसका क्या हो सकता है असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

विधानसभा चुनाव की तपिश झेल रहे बिहार में इन दिनों ‘बाहुबली रिटर्सं’ की खूब चर्चा हो रही है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 90 की दशक की और लौट रहे हैं। यह सवाल इन दिनों बिहार की राजनीति में काफी मौजूं हो गया है। पिछले तीन दिनों के भीतर दो बाहुबलियों और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुलाकात के बाद यह चर्चा परवान पा रही है कि राजनीति का घूमता चक्र कहीं रिटर्न बैक तो समता पार्टी नहीं हो गया है।

सीएम से मिले अनंत सिंह
जेल से छूटने के महज दो दिन बाद यानी गत शनिवार को मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह ने पटना में सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की। मोकामा विधानसभा से बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी चुनाव जीती थीं। मगर 2020 के विधानसभा चुनाव में नीलम देवी राजद की उम्मीदवार थीं। पर शक्ति परीक्षण के दौरान नीलम देवी ने पाला बदला और एनडीए की शरण में आ गयीं। इस बार अनंत सिंह खुद चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने जेल से बाहर निकलने के बाद इस बात का एलान भी कर दिया कि वह जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि तेजस्वी यादव भी उनके खिलाफ चुनाव लड़े, तो वह उनकी भी जमानत जब्त करा देंगे। अनंत सिंह अपनी पत्नी पर गुस्सा हैं कि विधायक के रूप में नीलम देवी ने अच्छा काम नहीं किया और वह जनता से जुड़ने में विफल रहीं। यही वजह है कि अनंत सिंह मोकामा से जदयू के टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश करने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे।

सीएम से मिले आनंद मोहन
अब इसे संयोग कहें या सेटिंग, लेकिन हुआ यह कि जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनंत सिंह मिल कर निकले, आनंद मोहन की गाड़ी सीएम हाउस में प्रवेश कर गयी। पूर्व सांसद आनंद मोहन अपनी पत्नी सह पूर्व सांसद लवली आनंद और विधायक बेटे चेतन आनंद के साथ सीएम से मिलने पहुंचे। बता दें कि कुछ दिन पहले एम्स विवाद में चेतन आनंद बुरी तरह घिर गये थे। आनंद मोहन की मुख्यमंत्री से इस मुलाकात को चुनावी माना जा रहा है। अब कुछ माह में विधानसभा चुनाव होना है। इस वजह से चुनाव के लिए टिकट को लेकर इस मुलाकात के निहितार्थ माने जा रहे हैं।

बाहुबली के करीब
इन दोनों बाहुबलियों की सीएम से मुलाकात के बाद अब लोगों को वर्ष 1989 का चुनाव याद आने लगा है। उस साल लोकसभा का चुनाव जब नीतीश कुमार लड़ रहे थे, तो उन पर बाहुबली के सहयोग लेने का आरोप लगा था। तब जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे नीतीश कुमार को 368,972 मत मिले थे और कांग्रेस के उम्मीदवार राम लखन यादव को 290,625 मत मिले। लगभग 78 हजार मतों से नीतीश कुमार को जीत मिली। राजनीतिक गलियारों में यह बात आज भी चर्चा में है कि नीतीश कुमार की जीत में बाहुबली दुलारचंद यादव, अनंत सिंह और सूरजभान जैसे लोगों का योगदान रहा था।

समता पार्टी और बाहुबली
राजद सुप्रीमो लालू यादव से अलग हो कर नीतीश कुमार ने जब समता पार्टी बनायी थी, तब भी बाहुबलियों की एक बड़ी फौज नीतीश कुमार के समर्थन में खड़ी थी। तब सूरजभान सिंह, प्रभुनाथ सिंह, उमानाथ सिंह, सुनील पांडेय, राजन तिवारी, आनंद मोहन, मुन्ना शुक्ला और देवेंद्र दुबे सरीखे बाहुबली समता पार्टी की शोभा बढ़ा रहे थे। हालांकि नीतीश कुमार ने बाहुबलियों का मददगार होने का दाग सुशासन की डोर पकड़ कर काफी हद तक धो लिया, लेकिन हकीकत यही है कि वह बाहुबली से कभी दूर, तो कभी नजदीक होते रहे हैं। नीतीश कुमार ने कई बाहुबलियों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया। उन्होंने देवेंद्र दुबे को समता पार्टी का उम्मीदवार बनाया, लेकिन देवेंद्र दुबे जब किसी हत्याकांड में फंस गये, तो नीतीश कुमार ने उनको अपना उम्मीदवार नहीं बनाया। यही अनंत सिंह के साथ भी हुआ। अनंत सिंह से जब नीतीश कुमार नाराज हो गये, तो वह राजद के टिकट से मोकामा से विधायक बने।

महागठबंधन में भी बाहुबलियों से परहेज नहीं
महागठबंधन में भी इस बार बाहुबलियों से परहेज नहीं दिख रहा है। आनंद मोहन और अनंत सिंह के जेल से बाहर आने के बाद चुनावी ताल ठोकने के लिए बेचैन दिखने के बीच यह भी हकीकत है कि राजद की ओर से कई बाहुबली मैदान में ताल ठोकते नजर आ जायेंगे। इसमें जेल में बंद राजद के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में बिहार में ‘बाहुबली रिटर्सं’ की यादें ताजी हो जा सकती हैं।

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