पत्नी की हत्या करने के बाद उसके शव के 72 टुकड़े करते वक्त जो हाथ नहीं कांपे वह कटघरे में कांप गए। कहा जाता है कि कितना भी बड़ा मुजरिम क्यों न हो, जब सजा का वक्त आता है तो अच्छे-अच्छों की हवाई उड़ जाती है।

देहरादून के चर्चित अनुपमा हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट का फैसला आया। जबकि गुरुवार को इस मामले में आरोपी पति राजेश गुलाटी को पत्नी अनुपमा की हत्या में दोषी ठहराया था। बीते गुरुवार को राजेश गुलाटी को पुलिस ने कोर्ट में दोपहर करीब सवा दो बजे पेश किया था। इस दौरान कोर्ट में उसके पिता, बहन और भतीजी मौजूद थे। परिजनों को सामने देखा तो उसकी आंख में आंसू निकलने लगे। बहन बार-बार रोने लगती। वहीं राजेश को जैसे ही कटघरे में खड़ा किया गया, उसके हांथ पांव कांपने लगे। दोषी करार दिए जाने के बाद वह कटघरे में काफी देर तक चुपचाप खड़ा रहा। पिता से बात करने का प्रयास किया, लेकिन पिता ने कुछ नहीं बोला। कुछ देर बाद बहन उसके पास पहुंची और उससे बातचीत की।

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अनुपमा की लाश काटते नहीं कांपे कसाई इंजीनियर के हाथ

देहरादून। अनुपमा की हत्या के बाद भी राजेश के सिर पर खून सवार था। एक-एक कर वह लाश को ठिकाने लगाने का सामान जुटाता रहा। बाजार से मार्बल कटर लाया और अनुपमा की लाश के टुकड़े करने लगा। लाश काटते वक्त मार्बल कटर का ब्लेड टूट गया, मगर राजेश के हाथ नहीं कांपे। यह उस शैतान बने इंसान की हकीकत है, जो अपनी पत्नी से बेइंतहा मोहब्बत करता था। सात साल तक प्यार के रिश्ते और फिर 11 साल तक पत्नी के रिश्ते में अनुपमा हर कदम पर उसके साथ रही। इन 18 वर्षों में राजेश और अनुपमा के रिश्तों में कई मोड़ आए। मगर, 17 अक्टूबर 2010 को अनुपमा की हत्या के बाद वह इस हद तक जा पहुंचा कि उसे एक बार भी 18 साल के सफर की याद नहीं आई। 20 अक्टूबर 2010 को राजा रोड पर मार्बल कटर खरीदने पहुंचा। दोपहर साढ़े 11 बजे मार्बल कटर खरीदकर लौटा और लाश काटने लगा। तभी कटर का ब्लेड टूट गया। दोपहर दो बजे फिर दुकान पर पहुंचा। ब्लेड टूटने का साल्यूशन पूछकर 230 रुपये का नया ब्लेड खरीदकर ले गया। ब्लेड कैसे लगेगा, दुकानदार से यह पूछना भी नहीं भूला। घर पहुंचने के बाद ब्लेड लगाने के बाद मशीन की ज्यादा आवाज आने लगी। इस पर वह फिर राजा रोड पहुंचा और लोहा काटने का कटर खरीदकर घिनौने खेल में जुट गया।

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आरी से पत्नी के टुकड़े कर पहले फ्रीजर में रखा और फिर करता था ऐसा काम

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