रांची: धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 को राजभवन से पारित होने पर केंद्रीय सरना समिति ने खुशी जाहिर की है। इसे लेकर समिति ने अल्बर्ट एक्का चौक में आतिशबाजी कर कहा कि धर्म स्वतंत्र विधेयक की मांग स्व. कार्तिक उरांव की थी। भगवान बिरसा मुंडा के समय से ही इसे लेकर आवाज उठते रहे। उस समय भी राजनीतिक षड्यंत्र के तहत इसे पास नहीं होने दिया गया। अभी तक किसी भी सरकार ने इसकी पहल नहीं की। लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने इसपर पहल करके इसके लागू करने का प्रयास किया।

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसपर बिल पर सहमति जताकर सरना आदिवासियों की परंपरा, धर्म, संस्कृति की रक्षा की पहल की गयी है। इसके लिए समिति ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल को धन्यवाद दिया। कार्यकारी अध्यक्ष बबलू मंडा ने कहा कि ईसाई मिशनरियों का असली चेहरा सामने आया है कि कैसे सरना आदिवासियों का धार्मिक एवं सांस्कृतिक को नष्ट किया जाये। साथ ही ईसाई मिशनरियों द्वारा सरना समाज के देवी- देवताओं को अपमानित करना, करम एवं सरहुल को दूसरे ढंग से मनाने का ढोंग करनपा, सरना समाज के धर्म- संस्कृति पर सीधे तौर पर हमला किया जा रहा है। जिसे सरना समाज कतई बर्दास्त नहीं करेगी। मेधा उरांव ने कहा धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 लागू होने से लोगों को लालच एवं भ्य दिखाकर धर्मान्तरण नहीं किया जा सकता है। मौके पर फूलचंद तिर्की, संजय तिर्की, शोभा कच्छप, संदीप उरांव, डब्लू मुंड, आकाश उरांव, मीना देवी, भागो लिंडा, नीरा टोपे आदि उपस्थित थे।

बोड़ेया में निकला विजय जुलूस

रांची: आदिवासी नेता सह पंचायत समिति सदस्य सोमा उरांव के नेतृत्व में धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 राजभवन से पास होने को लेकर खुशी जतायी गयी। इसे लेकर कांके के बोड़ेया पंचायत परिसर में जश्न मनाते हुए आतिशबाजी की गयी। मिठाई बांटी गयी। मौके पर कहा गया कि धर्म स्वतंत्र बिल की मांग लंबे समय से हो रही थी। मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रयासों से पूर्ण रूप से यह धरातल पर आ रहा है। पूर्व मिशनरियों द्वारा आदिवासियों को धर्म परिवर्तन कराकर इसाई बनाना तथा आदिवासियों के अस्तित्व को जड़ से खत्म करना था। परंतु पिछले 14 वर्षो में जितने भी मुख्यमंत्री आये, उनकी ओर से आदिवासियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया, केवल राजनीतिक रोटी सेंकी गयी।

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