रांची के रातू राजघराने की दुर्गा पूजा खास होती है. लगभग सात साल के अंतराल के बाद इस राजमहल में पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है. इस बार पूजा में सजावट भी देखने को मिल रही है. लोग काफी संख्या में पूजा के लिए यहां आ रहे हैं. लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.
देश के रियासतों में से एक राजू रियासत का कभी रसूख हुआ करता था. आज भी राजघराना का महत्व है. अंग्रेजों के जमाने में और आजादी के बाद यह क्षेत्र राजनीतिक गहमागहमी का केंद्र हुआ करता था. यहां की दुर्गा पूजा सदियों से चर्चित रही है. परंपरागत तरीके से यहां पूजा होती रही है.
राजकुमार गोपाल नाथ शाहदेव का 2010 में निधन हो गया. वे हटिया से कांग्रेस के विधायक थे. उनके पिता चिंतामणि शाहदेव का निधन 2014 में हो गया. राजा और युवराज के गुजर जाने के बाद गम का माहौल हो गया था. पूजा होती थी मगर धूम-धाम की कमी थी. लेकिन एक बार फिर उनकी बेटी ने रौनक की वापसी का जिम्मा उठाया है.
यहां की पूजा छह दिनों की होती होती है. इस बार पूरे महल को सजाया गया है. मां की पूजा के लिए महिलाएं काफी संख्या में आ रही हैं. यह महल रातू में है. मां का दर्शन के बाद लोग महल का भी भ्रमण कर रहे हैं. यहां समय और तिथि के हिसाब से पूजा होती है. यहां बलि की परंपरा भी है. महल की रौनक लौटने को लोग काफी अच्छा मान रहे हैं. कम उम्र में राजकुमार गोपालनाथ शाहदेव की मौत से परिवार में गम का माहौल हो गया था. इस वंश की परंपराओं का निर्वहण महाराज चिंतामणि शाहदेव की बेटी कर रही हैं. महल में धूमधाम से पूजा होने से स्थानीय लोग काफी प्रसन्न हैं.