नयी दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 15 सितंबर से 14वां एशिया कप क्रिकेट खेला जाएगा। मेजबान के तौर पर 23 साल बाद यूएई की वापसी हुई है। वहीं, हॉन्गकॉन्ग की टीम 10 साल बाद इस टूर्नामेंट में खेलेगी। वह इससे पहले दो बार हिस्सा ले चुकी है। भारत 13वीं बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेगा। 1986 में श्रीलंका में हुए दूसरे एशिया कप में भारत ने भाग नहीं लिया था।
यूएई 1984 में खेले गए पहले एशिया कप का मेजबान था। उसके बाद यहां 1995 में भी टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। हालांकि, यूएई दोनों बार टूर्नामेंट नहीं खेल सका था। वह पहली बार 2004 और उसके बाद 2008 में खेला था। दोनों बार ग्रुप दौर में बाहर हो गया। इस बार के सारे मुकाबले दुबई अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में खेले जाएंगे। इसकी दर्शक क्षमता 25 हजार है। इस स्टेडियम में पहला वनडे मैच 2009 और फिर 2017 में हुआ था। भारतीय टीम अब तक यहां कोई मैच नहीं खेली।
5 बार मेजबानी के बावजूद बांग्लादेश नहीं जीता टूर्नामेंट: मेजबानी के मामले में बांग्लादेश सबसे आगे है। वह पांच बार मेजबान बन चुका है, लेकिन कभी टूर्नामेंट नहीं जीत पाया। 2016 में वह फाइनल तक पहुंचा, लेकिन भारत ने उसे हरा दिया। भारतीय टीम मेजबानी के मामले में बहुत पीछे है। उसने 1990 के बाद से इस टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं की। तब वह ईडन गार्डन्स में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को सात विकेट से हराकर तीसरी बार चैम्पियन बना था।
बांग्लादेश ने लगातार तीन बार मेजबानी की:
साल मेजबान विजेता उपविजेता
1984 यूएई भारत श्रीलंका
1986 श्रीलंका श्रीलंका पाकिस्तान
1988 बांग्लादेश भारत श्रीलंका
1990-91 भारत भारत श्रीलंका
1995 यूएई भारत श्रीलंका
1997 श्रीलंका श्रीलंका भारत
2000 बांग्लादेश पाकिस्तान श्रीलंका
2004 श्रीलंका श्रीलंका भारत
2008 पाकिस्तान श्रीलंका भारत
2010 श्रीलंका भारत श्रीलंका
2012 बांग्लादेश पाकिस्तान बांग्लादेश
2014 बांग्लादेश श्रीलंका पाकिस्तान
2016 बांग्लादेश भारत बांग्लादेश
2016 में टूर्नामेंट वनडे की जगह टी-20 फॉर्मेट में हुआ
भारत 13 में 12 बार बना टूर्नामेंट का हिस्सा: इस टूर्नामेंट के सभी संस्करणों में खेलने का रिकॉर्ड श्रीलंका के पास है। वह हर बार (13) एशिया कप का हिस्सा बना। 11 बार फाइनल तक पहुंचा, लेकिन 5 बार ही चैम्पियन बन सका। भारतीय टीम 1986 में नहीं खेली थी। हॉन्गकॉन्ग की टीम 2008 के बाद पहली बार एशिया कप में खेलेगी। उसने 2004 में पहली बार यह टूर्नामेंट खेला था। हॉन्गकॉन्ग 10 मुकाबलों में पांच हार चुका है। वह केवल चार ही जीता, जबकि एक का नतीजा नहीं आया।