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    Home»Top Story»नेपाल को भारत से दूर करने के लिए चीन का दांव
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    नेपाल को भारत से दूर करने के लिए चीन का दांव

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskSeptember 8, 2018Updated:September 8, 2018No Comments2 Mins Read
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    काठमांडू : भारत के पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। भारी भरकम कर्ज बांटने के साथ ही चीन अब अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने की नई चाल चल रहा है। इसी क्रम में चीन ने शुक्रवार को नेपाल को अपने चार बंदरगाहों और तीन लैंड पोर्टों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। चीन का यह कदम काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के लिए जमीन से घिरे नेपाल की भारत पर निर्भरता कम हो जाएगी। आपको बता दें कि 2015 में मधेसी आंदोलन हुआ था और उस दौरान नेपाल में रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति भी प्रभावित हुई थी। इसके बाद से ही नेपाल ने भारत पर निर्भरता कम करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। इसका लाभ उठाते हुए चीन ने नेपाल के साथ अपने संबंध बढ़ा लिए हैं।

    चीन ने नेपाल के लिए खोले नए रास्ते
    विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यहां बताया कि नेपाल अब चीन के शेनजेन, लियानयुगांग, झाजियांग और तियानजिन सीपोर्ट का इस्तेमाल कर सकेगा। तियानजिन बंदरगाह नेपाल की सीमा से सबसे नजदीक बंदरगाह है, जो करीब 3,000 किमी दूर है। इसी प्रकार चीन ने लंझाऊ, ल्हासा और शीगाट्स लैंड पोर्टों (ड्राई पोर्ट्स) के इस्तेमाल करने की भी अनुमति नेपाल को दे दी।

    अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए ये नेपाल के लिए वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराएंगे। नई व्यवस्था के तहत चीनी अधिकारी तिब्बत में शिगाट्स के रास्ते नेपाल सामान लेकर जा रहे ट्रकों और कंटेनरों को परमिट देंगे। इस डील ने नेपाल के लिए कारोबार के नए दरवाजे खोल दिए हैं, जो अब तक भारतीय बंदरगाहों पर पूरी तरह निर्भर था। नेपाल के इंडस्ट्री और कॉमर्स मिनिस्ट्री में संयुक्त सचिव रवि शंकर सैंजू ने कहा कि तीसरे देश के साथ कारोबार के लिए नेपाली कारोबारियों को सीपोर्टों तक पहुंचने के लिए रेल या रोड किसी भी मार्ग का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी।

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