रांची। झारखंड में 13 फरवरी 2015 तक 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कॉन्ट्रैक्ट और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमित होंगे। शर्त होगी कि वह जरूरी शैक्षणिक आहर्ता पूरी करते हों। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। अन्य सारे प्रावधान वही होंगे, जो उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में झारखंड सरकार द्वारा 13 फरवरी 2015 को जारी सेवा नियमावली में है। इस नियमावली में 10 साल सेवा पूरी करने का कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 किया गया था, जिसे संशोधित कर 13 फरवरी 2015 किए जाने पर सहमति बनी है। अब एक बार फिर नियमावली में संशोधन पर विचार किया जा रहा है।

कट ऑफ डेट पर फंस सकता है पेंच
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के स्तर पर अंतिम निर्णय में कट आॅफ डेट 13 फरवरी 2015 से बढ़ाकर संशोधन की तिथि से भी लागू हो सकती है। क्योंकि 2018 में संशोधन की स्थिति में प्रभावित कर्मी फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। सरकार ऐसे कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को हटाने पर भी विचार कर रही है, जिन्होंने 10 साल की सेवा पूरी नहीं की है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि झारखंड सरकार सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई भी कॉन्ट्रैक्ट या दैनिक वेतनभाेगी कर्मचारी नियमितीकरण का दावा न करे।

30 नवंबर तक करना है नियमितीकरण
उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार के आदेश के आलोक में झारखंड हाईकोर्ट ने रमेश महतो बनाम झारखंड सरकार मामले में अनियमित रूप से नियुक्त या कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमित करने का आदेश दिया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने सेवा नियमावली 2015 लागू की उसमें कहा गया कि 10 अप्रैल 2006 तक जिन कर्मियों की सेवा 10 वर्ष पूरी हो चुकी है वे नियमित किए जाएंगे। नरेंद्र कुमार तिवारी ने इसी नियमावली को पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। तर्क था कि 2006 तक राज्य गठन के 10 वर्ष पूरे ही नहीं हुए तो किसी की सेवा 10 वर्ष कैसे पूरी हो सकती है। इस तर्क को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त 2018 को अपने आदेश में इन्हें 30 नवंबर 2018 तक नियमित करने का आदेश दिया है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version