नयी दिल्ली। SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले में सीधे तौर पर प्रमोशन में आरक्षण को खारिज नहीं किया गया, बल्कि इस मामले को राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि SC/ST कर्मचारियों को नौकरियों में तरक्की में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारों को SC/ST के पिछड़ेपन पर उनकी संख्या बताने वाला आंकड़ा इकट्ठा करने की कोई जरूरत नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंकड़े जारी करने के बाद राज्य सरकारें आरक्षण पर विचार कर सकती हैं, लेकिन उन्हें निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखकर नीति बना पड़ेगी।
वर्गों का पिछड़ापन निर्धारण
नौकरी में उनके प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता
संविधान के अनुच्छेद 335 का अनुपालन
कुल आबादी पर विचार
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की यह अर्जी भी खारिज कर दी कि SC/ST को आरक्षण दिए जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए।
तय की गई थीं शर्तें
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि 2006 में नागराज मामले में दिए गए उस फैसले को सात सदस्यों की पीठ के पास भेजने की जरूरत नहीं है जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी) एवं अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को नौकरियों में तरक्की में आरक्षण देने के लिए शर्तें तय की गई थीं.
जानिये 2006 का नागराज फैसला
एम नागराज बनाम भारत सरकार मामले में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण देने के कानून को कोर्ट ने सही ठहराया था. साथ ही कहा था कि इस तरह का आरक्षण देने से पहले सरकार को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरी में सही प्रतिनिधित्व न होने के आंकड़े जुटाने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील
इसी फैसले की वजह से तमाम राज्यों में SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बनाए कानून रद्द होते रहे हैं. हाल के दिनों में बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में ऐसा हो चुका है. हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ सभी राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है.
क्या थी दलीलें
बता दें कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और कई संगठनों ने मांग की थी कि कोर्ट अपने 2006 के फैसले पर दोबारा विचार करे. उनका कहना है कि चूंकि SC/ST में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होता, इसलिए उन्हें प्रमोशन देते समय भी आंकड़े जुटाने की शर्त नहीं रखी जा सकती.
दूसरी तरफ, आरक्षण का विरोध करने वाले पक्ष की दलील थी कि एक बार नौकरी पाने के बाद प्रमोशन का आधार योग्यता होनी चाहिए। वहीं, मायावती ने इस फैसले पर कहा कि निर्णय कुछ हद तक सही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि आरक्षण में प्रमोशन राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा.