मुंबई। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट थम नहीं रही। बुधवार को यह 22 पैसे कमजोर होकर 72.91 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया। रुपया मंगलवार को 24 पैसे गिरकर 72.69 पर बंद हुआ था। कच्चा तेल महंगा होने और शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपए पर दबाव बढ़ा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड का रेट बुधवार को 2% बढ़कर 79.34 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। उधर, अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने के आसार हैं। इससे भी करंसी बाजार में दबाव बढ़ा।
रुपये में गिरावट के 5 असर: पहला- तेल कंपनियों पर दोहरी मार पड़ेगी। उनके लिए क्रूड का इंपोर्ट महंगा हो जाएगा। इससे पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ेंगे। दूसरा- विदेशी कर्ज चुकाने के लिए सरकार ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ेगी। तीसरा- विदेशों में पढ़ाई और घूमने-फिरने का खर्च बढ़ेगा। क्योंकि, करंसी एक्सचेंज के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। चौथा-गिरावट बढ़ने पर आरबीआई ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। अक्टूबर में आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। पांचवा- आईटी और फार्मा कंपनियों को रुपए की गिरावट से फायदा होगा। क्योंकि, इनका ज्यादातर कारोबार एक्सपोर्ट पर आधारित है। इस साल आईटी और फार्मा कंपनियों के शेयरों में इसी वजह से तेजी आई। डॉलर के मुकाबले इस साल दुनियाभर की मुद्राओं में गिरावट आई। लेकिन, एशिया में भारतीय रुपए का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। जनवरी से अब तक रुपया 14% गिर चुका है।
2018 में डॉलर के मुकाबले दूसरे देशों की मुद्राएं
करंसी गिरावट
यूरो 3.3%
ब्रिटिश पाउंड 3.6%
श्रीलंकाई रुपया 5.5%
साउथ कोरियन वॉन 5.5%
इंडोनेशियाई रुपया 9%
भारतीय रुपया 14%
रशियन रूबल 18.2%
साउथ अफ्रीकन रैंड 18.7%
तुर्की लीरा 41.3%
अर्जेंटीना पैसो 50.3%