उमाकांत रजक की पदयात्रा ने क्षेत्र के लोगों का खोया विश्वास लौटा दिया है
23 सितंबर को आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो जब बिनोद बिहारी जयंती समारोह में हिस्सा लेने दिन के 12 बजकर 53 मिनट पर पेटरवार चौक पहुंचे, तो उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि चंदनकियारी में बदलाव की कहानी लिखी जा रही है। एक बजकर 14 मिनट पर जब वे कसमार बाजार टांड़ पहुंचे, तो ढोल-नगाड़ों की गूंज और आजसू कार्यकर्ताओं के सुदेश महतो जिंदाबाद के नारे ने उन्हें जनता के मूड की जानकारी देनी शुरू कर दी। जनता के मूड की इसलिए, क्योंकि रास्ते भर ग्रामीण जगह-जगह न सिर्फ उनकी अगवानी के इंतजार में थे, बल्कि उनके पहुंचते ही फूल-मालाओं से लाद कर उनका स्वागत कर रहे थे। सुदेश भी उनका अभिवादन स्वीकार करते बढ़ रहे थे। इसके बाद वे मंजूरा में रुके, जहां उनका स्वागत हुआ। यहां एक सौ से ज्यादा आजसू कार्यकर्ता बाइक पर सवार आजसू का झंडा लेकर उनके साथ कसमार के झूमर मैदान पहुंचे। यहां उन्होंने स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा का अनावरण किया। यहां कार्यक्रम करने के बाद उनका काफिला चंदनकियारी की ओर रवाना हुआ। तीन बजकर 52 मिनट पर जब वे रामडीह मोड़ के पास स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा पर मार्ल्यापण के लिए उतरे, तो जनता और आजसू कार्यकर्ताओं की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। युवा उनके साथ सेल्फी लेना चाहते थे, सुदेश महतो ने उनके आग्रह को स्वीकार किया और हर ग्रामीण और कार्यकर्ता के साथ सेल्फी खिंचवायी। यहां से चंदनकियारी की ओर बढ़ने के क्रम में बारिश शुरू हो गयी। पर बारिश में भींगते हुए आजसू के सैकड़ों कार्यकर्ता बाइक पर सवार उनके साथ कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे।
बारिश में भींगते कार्यकर्ताओं अपने साथ चलता देख उन्हें कार्यकर्ताओं में पैदा हुई ऊर्जा का एहसास हो गया। जब वह चंदनकियारी के बोगुला मैदान पहुंचे, तो हजारों की भीड़ सुदेश के इंतजार में पलक-पांवड़े बिछाये खड़ी थी। यहां लोगों का हुजूम देखकर सुदेश महतो को यह यकीन हो गया कि चंदनकियारी में बदलाव की पटकथा लिखी जा रही है। रही-सही कसर पूर्व मंत्री और पार्टी उपाध्यक्ष उमाकांत रजक के आक्रामक और क्रांतिकारी भाषण ने पूरी कर दी। अब तो सुदेश को मंच से कहना पड़ा कि चंदनकियारी जैसा वातावरण कहीं नहीं हो सकता। आज उमाकांत के भाषण ने प्रभावित किया है। उन्होंने अपने आपको स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के विचारों के इर्द-गिर्द रखा है। कहो दिल से आजसू फिर से, अबकी बार एक लाख पार। तभी वहां उपस्थित एक ग्रामीण बोल उठा अबकी बार दो लाख पार और सुदेश महतो हंसने से खुद को रोक नहीं सके। यहां उपस्थित मोहाल के कलाचंद रजक और बंटी से जब पूछा गया कि आनेवाले चुनावों में क्या होगा, तो उनका जवाब था कि उमाकांत खुलेआम जीत रहे हैं, उनकी टक्कर में कोई नहीं है। उमाकांत रजक ने जो क्षेत्र में विकास का काम किया है, वह कोई नहीं कर सका है। बीती दफा घेरकर उन्हें हरा दिया गया था, इस बार ऐसा नहीं होगा।
इसलिए कठिन है अमर बाउरी के लिए डगर पनघट की
अमर बाउरी झाविमो के विधायक के तौर पर चंदनकियारी से चुनाव जीते हैं। जीत हासिल करने पर झाविमो में हुई टूट के बाद वह भाजपा में आ गये। किस्मत ने उनका साथ दिया और वह झारखंड सरकार में कला संस्कृति, राजस्व, निबंधन और खेलकूद विभाग के मंत्री बन गये। मंत्री बनने के बाद वह सिर्फ चंदनकियारी के विधायक नहीं रह गये थे। पूरे झारखंड की जनता की आकांक्षाओं का बोझ उन पर था और इसे निभाने में क्षेत्र के लिए जितना समय उन्हें देना था, उतना देना उनके लिए चाहकर भी संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसा नहीं है कि वह क्षेत्र में समय नहीं देना चाहते थे, पर काम का बोझ उन्हें विवश कर रहा है। वहीं अपनी हार से सबक लेकर उमाकांत रजक ने चंदनकियाारी के लोगों का दिल जीतने के लिए गांव-गांव पदयात्रा की। हरेक व्यक्ति से मिले और उनका सुख-दुख सुना। झारखंड आंदोलनकारी और नौ बार इसके लिए जेल जा चुके उमाकांत रजक में जीत का जुनून तो शुरू से ही है और उन्होंने यह तय कर लिया था कि मंत्री रहते जो भूल उनसे हुई है, वे उसे नहीं दोहरायेंगे। चंदनकियारी की जनता का मूड समझते हुए उन्होंने क्षेत्र में जीत की बिसात बिछाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे। 23 सितंबर को तो उन्होंने अमर बाउरी को झूठ बोलकर राजनीति करनेवाला साबित करने की कोई कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने कहा कि अमर बाउरी यहां के नहीं, बंगाल के हैं और उन्हें नदी पार भेज देंगे। उन्होंने कहा कि अमर बाउरी कहते हैं कि सीओ और बीडीओ उनकी बातें नहीं सुनते। अगर ऐसा है तो वे मंत्री पद पर बने क्यों हुए हैं। इस्तीफा क्यों नहीं दे देते। पर ऐसा भी नहीं है कि अमर बाउरी अपनी राजनीतिक जमीन को बरकरार रखने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
13 सितंबर को अपने फेसबुक पेज में जो स्टेटस उन्होंने डाला है उसमें स्पष्ट लिखा है कि काम किया है, काम करेंगे। तन समर्पित, मन समर्पित चंदनकियारी के लिए कण-कण समर्पित। उन्होंने भी स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और अपने पांच वर्षों के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने हरीडीह में आयोजित फुटबॉल प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया और सफल छात्रों को सम्मानित किया। पर उनमें और उमाकांत रजक में अंतर है। हारे हुए उमाकांत रजक अपना एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। जो गलतियां उन्होंने की, वे फिर न हों, इसका पूरा-पूरा ध्यान रख रहे हैं और क्षेत्र में तो जैसे वह डोरा जमाकर बैठ गये हैं, मंत्री होने के नाते इतना समय देना अमर बाउरी के लिए तो संभव नहीं हो पा रहा है। दूसरा वे जीत के आत्मविश्वास की लहर पर सवार हैं, जहां कोई चूक हो जाना स्वाभाविक है।
एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का शिकार बने थे उमाकांत रजक
बोकारो में स्थित चंदनकियारी धनबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र में 2005 में जदयू प्रत्याशी हारू रजवार, 2009 में आजसू के उमाकांत रजक और 2014 में झाविमो के टिकट पर अमर बाउरी जीते थे। 2015 में अमर बाउरी भाजपा मेें अपने पांच साथियों के साथ शामिल हो गये। इसका उन्हें फायदा भी हुआ और झारखंड की सरकार में उन्हें मंत्री बनने का सुख मिला। चंदनकियारी की माटी की समझ रखनेवाले लोगों का कहना है कि यहां की जनता आक्रामक राजनीति में विश्वास रखती है और अमर बाउरी सोबर स्वभाव के हैं। बीएड की उच्चतम डिग्री से लैस अमर बाउरी तब यहां से विधायक चुने गये थे, जब मंत्री होने के कारण एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का शिकार उमाकांत रजक को होना पड़ा था। अब वही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर चंदनकियारी में अमर बाउरी के खिलाफ निर्मित हो रहा है। मंत्री बनने के बाद अमर बाउरी व्यवस्था के अंग बनकर रह गये हैं, जबकि क्षेत्र में व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करनेवालों को जनता पसंद करती है। झारखंड विधानसभा चुनावों में अब लगभग दो महीने का समय रह गया है। इस समय में वे उमाकांत रजक और आजसू की राजनीतिक बमबारी का करारा जवाब दे पाये तो संभव है कि उनकी यह सीट आनेवाले चुनावों में बची रह जाये। पर इस काम में उन्हें पूरी शिद्दत से जुटना होगा।
उनकी जनता से संपर्क की जो स्पीड है, उसे नॉर्मल ट्रेन की रफ्तार से बढ़ाकर बुलेट ट्रेन की स्पीड पर लाना होगा। उनकी सीट पर खतरा इसलिए भी मंडरा रहा है, क्योंकि आजसू ने इस सीट पर अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी है। उन्होंने बोगुला मोड़ में आयोजित सभा में कहा कि किसी भी परिस्थिति में इस सीट से चुनाव आजसू ही लड़ेगी।
चंदनकियारी का अगला विधायक कौन होगा, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतिहास तो यही कहता है कि पसंद न आने पर बदलाव इस क्षेत्र की जनता का जन्मसिद्ध अधिकार है और वह बदलाव लाकर ही रहती है।
चंदनकियारी में बाउरी के लिए आसान नहीं डगर पनघट की
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