28 दिसंबर 2014 को झारखंड में पहली गैर आदिवासी सरकार के मुखिया बने रघुवर दास और केंद्र की नरेंद्र मोदी की डबल इंजन की सरकार ने ऐसी योजनाएं संचालित की हैं, जिनसे लोगों को सीधा फायदा मिल रहा है और उससे जनता की तकदीर बदल रही है। रांची के फुटपाथ दुकानदार, जो सामान कब लुट जाये और कब पुलिस की लाठियों से पीटे जायें, इस भय के साये में फुटपाथ पर दुकान सजाते थे, अब निर्भय और शांति से अटल स्मृति वेंडर मार्केट में चैन की वंशी बजाते हुए व्यापार कर रहे हैं। बात झारखंड में आ रहे बदलाव की करें, तो संथाल के सुदूर गांवों में रह रही महिलाओं की जिंदगी में गैस का चूल्हा परिवर्तन ला रहा है। पहले जिन वंचितों, गरीबों और किसानों की आवाज बुलंद करना वामपंथी पार्टियों का एकाधिकार था, अब वह खंडित हो गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने को साकार कर रही केंद्र की मोदी और राज्य की रघुवर सरकार जन-जन तक पहुंच रही है। सरकार की योजनाओं की जनता तक पहुंच की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
16नवंबर 2018। यह महज एक तारीख नहीं, वह बदलावकारी दिन है, जब राजधानी के 250 फुटपाथ दुकानदारों की जिंदगी में कायापलट हो गया। फुटपाथ का फर्श छोड़कर वे वर्ल्ड क्लास अटल स्मृति वेंडर मार्केट में दुकानें सजाने लगे और यहां जो सुविधाएं उन्हें मिल रही थीं, वे चर्च कांप्लेक्स की दुकानों से किसी मायने में कम नहीं थीं। यह तो महज एक बानगी है। हकीकत तो यह है कि झारखंड की सवा तीन करोड़ की आबादी में से 2.20 करोड़ लोगों तक किसी न किसी रूप में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की रघुवर सरकार की योजनाएं पहुंच चुकी हैं। आजादी के बाद देश में मोदी और राज्य में रघुवर सरकार ऐसी पहली सरकार है, जो अपनी योजनाओं से जन-जन का जीवन स्पर्श कर रही है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव की कहानी लिख रही है। यह बदलाव कैसे आ रहा है, इसे साझा करते हुए गाड़ीखाना के नीरज कुमार ने बताया कि राज्य की रघुवर सरकार काम कर रही है। इसी की वजह से अटल वेंडर मार्केट मिला है। अब धूप, पानी बरसात और पुलिस की मार का कोई डर नहीं है। यहां हम शांति से दुकान लगा रहे हैं। यह दुकान हमारी पहचान बन गयी है। हमें स्थायी दुकान मिल गयी है। सरकार काम कर रही है, तभी तो यह बदलाव देखने को मिल रहा है। वहीं यहां दुकान सजानेवाली पूजा कुमारी ने बताया कि पहले कचहरी नगर निगम में रोड पर दुकान लगाते थे, अब यहां लगा रहे हैं। इससे बहुत फायदा हुआ है। अब हमें पुलिस की मार नहीं सहनी पड़ती। वहीं कर्बला चौक में रहनेवाले विनोद कुमार ने बताया कि यहां दुकानें मिल जाने से उनकी जिंदगी बदल गयी है। अटल स्मृति वेंडर मार्केट में लगभग ढाई सौ फुटपाथ दुकानदारों को दुकाने आवंटित की गयी हैं। इस मार्केट में रांची नगर निगम ने 325 दुकानों की लिस्ट फाइनल की है।
88 लाख को छोड़कर सब सरकार की योजनाओं की जद में
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि झारखंड की सवा तीन करोड़ की आबादी में 88 लाख को छोड़ दें, तो बाकी बची सारी जनसंख्या को सरकार की योजनाओं से लाभ मिल रहा है। चाहे वह केंद्र की आयुष्मान भारत योजना हो या उज्ज्वला योजना। श्रमिक सम्मान योजना की जद में तो राज्य के 23 लाख असंगठित क्षेत्र के मजदूर आते हैं। इनमें 23 लाख ठेला, खोमचा और फुटपाथ दुकानदार तथा आठ लाख रिक्शा चालक शामिल हैं। सरकार की योजनाएं कैसे जन-जन के मन को स्पर्श कर रहीं हैं, इस संबंध में भाजपा प्रवक्ता शिवपूजन पाठक ने बताया कि केंद्र हो या राज्य की रघुवर सरकार, उनकी अधिकतर योजनाएं गांव, गरीब और किसान को फोकस करके बनायी गयी हैं। केंद्र की आयुष्मान योजना से झारखंड में 57 लाख परिवारों को फायदा मिल रहा है। 38 लाख परिवारों तक सरकार ने बिजली पहुंचा दी। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने को डबल इंजन की सरकार साकार करने में जुटी हुई है और सरकार की योजनाओं ने जन-जन के मन को स्पर्श किया है। केंद्र की मोदी सरकार हो या राज्य की रघुवर सरकार, सबने गरीबों को अपने एजेंडे में रखा है। इसे वामपंथी पार्टियां भी स्वीकार करती हैं। सीपीएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य प्रकाश विप्लव ने बताया कि गरीबों और वंचितों के लिए असल में कोई संघर्ष कर रहा है, तो वह वामपंथी पार्टियां ही हैं। यह उन्हीं के संघर्ष का दबाव है कि चाहे वह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार हो या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, सबने अपने एजेंडे में गरीबों और वंचितों को रखा है। हम सरकार की योजनाओं का विरोध नहीं कर रहे, हम चाहते हैं कि इन योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक गरीबों तक पहुंचे। सरकार की योजनाएं कैसे काम कर रही हैं, इसका हाल जानने के लिए हमने संथाल परगना के पाकुड़ और महेशपुर में दो गांवों का सर्वे किया। पता चला कि एक बार उन्हें उज्ज्वला योजना का लाभ मिला और फिर उनके पास दुबारा गैस भराने के पैसे ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में सबको आश्वासन तो मिला है पर आवास नहीं मिला है। यह जमीनी हकीकत है। हालांकि इस सच्चाई से मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अवगत हैं। इसलिए अपने भाषणों में वह अक्सर कहते हैं कि सरकार को सूचना मिली है कि कई जगह हमारी गरीब माताएं और बहनें पैसे के अभाव में दुबारा गैस सिलिंडर भरवा नहीं पा रही हैं। उन्हें हमने डीबीटी के जरिये राशि देने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास की यह स्वीकारोक्ति उनकी संवेदनशीलता का परिचय तो देती ही है यह भी बताती है कि सरकार आलोचनाओं को सकारात्मक रूप में ले रही हैं और जरूरत पड़ने पर जरूरी कदम भी उठा रही हैं।
बदलाव आ चुका है
वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के बनने तक स्थिति यह थी कि देश में वंचितों, पीड़ितों, गरीबों और किसानों की राजनीति यदि प्रमुखता से कोई करता था तो वह वामपंथी पार्टियां ही करती थीं। वंचित तबके का झंडाबरदार उन्हें ही माना जाता था। पर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की रघुवर सरकार ने उनका यह गरीबों और वंचितों की राजनीति का एकधिकार खंडित कर दिया है। डबल इंजन की सरकार की योजनाओं की व्यवहारिक पहुंच में कहीं भूल-चूक हो सकती है पर योजनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं, इसमें कोई शक नहीं है। यही कारण है कि विपक्ष चाहे लाख दलील दे कि इवीएम में छेड़छाड़ करके भाजपा चुनाव जीत रही है पर सच तो यह है कि सरकार की योजनाएं जनता के दिलो-दिमाग में परिवर्तन लाने के साथ उनकी जिंदगी में भी परिवर्तन ला रही है।
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