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    Home»Top Story»कानून का पालन करानेवाला ही नियमों की उड़ा रहा धज्जियां
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    कानून का पालन करानेवाला ही नियमों की उड़ा रहा धज्जियां

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskSeptember 7, 2019No Comments6 Mins Read
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    आने-जाने के लिए लोगों को नहीं मिल रहे साधन
    रांची। एक सितंबर से ट्रैफिक के नये नियम लागू हो चुके हैं। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन करनेवाले वाहन चालकों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है। इसे लेकर हर दिन कहीं नहीं कहीं विवाद, हल्ला-हंगामा हो रहा है। इधर, ट्रैफिक पुलिस को यह जवाबदेही है कि वह कानून का पालन करवाये। लेकिन इससे आम लोगों को कहीं परेशानी नहीं होनी चाहिए। रांची में पुलिसकर्मी खदेड़-खदेड़ कर वाहन पकड़ रहे हैं और चालान काट रहे हैं। शहर के कई इलाकों में आम लोगों के साथ बकझक भी हुई। जो पुलिसकर्मी चालान काटता है, उसके बाइक में न तो नंबर प्लेट है और न वह हेल्मेट पहनता है। वह खुद नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। इससे आम लोग त्रस्त हैं। नये नियमों को लेकर पुलिस-प्रशासन भी रेस हैं। चौक-चौराहों में जोर-शोर से वाहनों की चेकिंग की जा रही है। इससे लोगों में दहशत है। जिन लोगों की गाड़ी के पेपर आधे-अधूरे हैं या जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस आदि नहीं है, वे तो सड़क पर वाहन लेकर निकलने से भी कतरा रहे हैं। ट्रैफिक के नये नियमों के लागू होने और विकल्प के रूप में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में काफी आक्रोश है। यही नहीं लोगों को कहीं अने-जाने के लिए साधन तक नहीं मिल रहे हैं।
    आटो में ओवरलोड पर किसी की नजर नहीं
    राजधानी में न सिटी बसें ढंग से चलती हैं और नहीं आटो की ऐसी व्यवस्था है कि सभ्य लोग बैठ सकें। आटो इतने ओवरलोडेड हैं कि कोई सभ्य आदमी उसमें बैठना नहीं चाहेगा। आॅटोवाली की मनमानी अलग से। एक-दो रूट छोड़कर सिटी बसें कहीं नहीं चलती। लोगों के पास आने-जाने के लिए कोई विकल्प ही नहीं है।
    लोग कर रहे सिटी ट्रांसपोर्ट की मांग
    लोगों का कहना है कि सरकार अगर शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त करती और यातायात व्यवस्था को सुगम बनाती, तो आज इतनी संख्या में लोग मोटरसाइकिलें और कार लेकर सड़कों पर निकलते ही नहीं। यह हाल है शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम का शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकार ने नगर निगम को 91 सिटी बसें दी हैं, लेकिन इनमें से 41 सिटी बसों का परिचालन केवल दो मार्गों में हो रहा है। कचहरी, रातू रोड, कचहरी से कांके रोड, बरियातू रोड, अलबर्ट एक्का चौक से कोकर चौक, कांटाटोली से बूटी मोड़, हरमू रोड, बिरसा चौक से धुर्वा, हटिया आदि क्षेत्रों सिटी बसें नहीं चलती। यहां आटो ही एकमात्र साधन हैं।
    आॅटो चालकों की मनमानी से लोग त्रस्त
    ये आॅटो आगे पीछे 10 से 12 सवारियां बिठाते हैं। इनमें लोग मजबूरी में ही बैठते हैं। महिलाओं की हालत तो पूछिये ही मत। क्या ट्रैफिक पुलिस और सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। ट्रैफिक पुलिस को चाहिए था कि आॅटो में ओवरलोडिंग पर रोक लगाती। मनमाने किराये को नियंत्रित करती।
    नगर निगम हर मार्ग पर सिटी बस चलाता, वह भी 10-15 मिनट के अंतराल पर, तब शायद समस्या इतनी विकराल नहीं होती।

    सभी मार्गों पर चलें सिटी बसें
    आम लोगों का भी कहना हा कि सिटी बसें शहर के सभी प्रमुख मार्गों पर चलायी जायें। लोग चाहते हैं कि सिटी बसों का किराया आॅटो एवं ई-रिक्शा के तुलना में कम रखा जाये, ताकि आमलोग इसमें सफर करने के लिए प्रेरित हों। एक बार सही तरीके से परिचालन होने के बाद लोग खुद-ब-खुद इन बसों की सवारी करेंगे और सड़कों पर वाहनों का बोझ कम होगा तथा पेट्रोल की बचत भी होगी। सड़कों पर जगह-जगह सिटी बसों का पड़ाव निर्धारित हो. हर हाल में ये पड़ाव पर ही सवारियों को उतना और चढ़ना सुनिश्चित किया जाये. इससे लोगों में ट्रैफिक सेंस डेवलप होगा।
    कागजात बनवाने में परेशानी
    इसके अलावा जो लोगों की आम समस्या है, वह है कागजात बनवाने की परेशानी। लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए दौड़ते रह जाते हैं। पर्यावरण के कागजात असानी से नहीं बनते। इस व्यवस्था का खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। भारी भरकम जुर्माने से उनकी जेब खाली हो रही है।
    प्रमाण पत्रों के लिए लंबी कतार
    मोरहाबादी में दिनभर भारी भीड़ रही। वहां जो लोग पहुंचे थे, वे चार पहिया वाहन चलाने की परीक्षा दे रहे थे। लंबी कतारें लगी हुई थी। प्रदूषण जांच करनेवाले केंद्रों पर भी यही स्थिति थी। जिला परिवहन कार्यालय में तो आवेदनों का अंबार लग गया है।
    हाथ हिला कर निकल गये बिना हेल्मेटवाले पुलिसकर्मी
    शुक्रवार को 11 बजे दिन एक बाइक पर दो पुलिसकर्मी लालपुर चौक से गुजर रहे थे। बाइक में जो नंबर है, वह बिहार का है। उन दोनों को रोकने का भी प्रयास किया गया, लेकिन पीछे बैठा व्यक्ति लाल सिग्नल को तोड़ते हुए हाथ हिलाया और आगे बढ़ गया। वहां तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने उसे पकड़ने की कोशिश तक नहीं की।

    आटो में कार का नंबर मिला, कांटाटोली में हंगामा

    कांटटोली चौक पर उस समय भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी, जब आॅटो मालिक और ट्रैफिक पुलिसकर्मी के बीच बकझक हो गयी। दोनों एक दूसरे का कॉलर पकड़ लिये और भिड़ गये। इस मामले की जांच ट्रैफिक एसपी ने करायी, तो पाया कि आॅटो में जो नंबर अंकित है वह थ्री नहीं फोर व्हीलर का है। ट्रैफिक पुलिस को क्लीन चिट दे दी।

    पुलिसकर्मियों का चालान कटा
    प्लाजा चौक पर तैनात ट्रैफिक सिपाही राकेश कुमार अपने बाइक से वहीं के जमादार परमेश्वर राय को लेकर जा रहे थे। दोनों बिना हेल्मेट के थे। एसपी ने जांच करायी, तो पाया कि उनके पास कोई कागजात नहीं है। बाइक मालिक आरक्षी राकेश कुमार को 34 हजार रुपये का फाइन किया गया। उनका ड्राइविंग लाइसेंस तीन माह के लिए होल्ड कर दिया गया। वहीं जमादार के खिलाफ बाकी विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है। सैप के एक पदाधिकारी का चालक बंधन मुंडा से भी एक हजार रुपया लिया गया। एक मीडियाकर्मी को भी छह हजार रुपया फाइन देना पड़ा।
    परेशान रहे शहरवासी
    ट्रैफिक पुलिस ने नये कानून को लागू कराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अब तो स्थिति यह है कि अगर आप बाइक पर शहर में कहीं निकले हैं, तो पुलिस की नजर में अपराधी हैं। पुलिस ऐसा झपट्टा मारेगी, जैसे कोई बड़ा अपराधी उसके हाथ से फिसल न जाये।
    सारे कागजात रहने के बाद भी 20 से 25 मिनट आपकों वहां गवांना ही पड़ेगा। शुक्रवार को ट्ैफिक की कड़ाई के कारण तीन पहिये और दो पहिये वाहन कम दिखे।

    The law-abiding person is throwing away the rules
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