भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान को मानवाधिकारों के उल्लंघन, सीमापार आतंकवाद और अपने यहां अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि पड़ोसी देश भारत के खिलाफ घृणा से भरा दुष्प्रचार फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंचों का दुरुपयोग कर रहा है।

 

संयुक्त राष्ट्र के उच्चस्तरीय शांति की संस्कृति के मंच पर भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि पाकिस्तान अपनी सरजमी और सीमा पर हिंसा की संस्कृति का प्रसार कर रहा है। पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न जारी है तथा ईशनिंदा कानून के तहत उनके खिलाफ मनमानी कार्रवाई की जा रही है। पाकिस्तान के यह कुकृत्य अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के लिए चिंता का विषय है।

प्रतिनिधि ने अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं के अपहरण, उनके जबरन धर्म परिवर्तन और उनके साथ बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि महिलाओं को पाकिस्तान में ज्यादतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना महामारी के दौरान अल्पसंख्यकों के हालात और बदतर हो गए हैं।

एक अन्य मंच पर भारत ने आतंक को फैलाने वालों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को मजबूत इच्छाशक्ति दिखाने की अपील की। पाकिस्तान पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी बाल अधिकारों के सबसे ज्यादा शोषण में शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर चर्चा के दौरान भारत ने एक बयान में कहा कि आतंक के नेटवर्क ने शांति और स्थिरता को खतरे में डालते हुए अपने पांव फैलाए हैं। इससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।  वे भय और अनिश्चितता की भावना के साथ रहते हैं और अक्सर शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं।

भारत ने अपने वक्तव्य में कहा कि परिषद के बाल संरक्षण एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंकवाद से मुकाबला करने को लेकर बने तालमेल को जमीनी स्तर पर उतारना होगा।

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